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१७४ ] महावीर चरित्र ।
.......... श्चर्य उत्पन्न करनेवाली संपत्तिको जीत लिया है ऐसी प्रसिद्ध उ.. जयनी नामकी नगरी है । जो ऐसी मालूम पड़ती है मानों समस्त उज्ज्वल वोकी श्रीसे युक्त आकृति ही है ॥ ७ ॥ उज्ज्वल भूः . पणोंको धारण करनेवाली रमणियां जिनके ऊपर खड़ी हुई हैं ऐसे .. सुधा-चूना-कलईसे धवल हुए. उत्कृष्ट महलोंसे यह .नगरी ऐमी : : मालूम पड़ती मानों जिसमें विनली चमक रही हो ऐसे शरद बस्तु के धाल मेघोंसे व्याप्त मेर-पदवी ही हो ॥ ध्वनाओंके वस्त्रों.. से अत्यंत विरल हो गई है आपलक्ष्मी निरुकी ऐमा स्थगित : हुआ सूर्य वहांपर ऐना दीखता है मानों सुवर्णपय कोटमें लगे हुए 'निर्मल रत्नोंकी प्रभाओं-किरणों के पटलसे जीत लिया गा हो ..
॥ ९ ॥ नहायर क्रिया है अपराध जिसने ऐसा प्रियतम और शा:: • सकी सुगंधके वश हुआ भ्रार बार बार हाथों के अप्रमागासे ताड़ित होनेपर.प्रमदाओं के सामनेसे हटा नहीं है ॥ १०॥ इप'. नगरीमें रहनेवाले पनि पुरुष चारो तरफ आकर उस्कृष्ट रनों • समूहको स्वयं प्राप्त करते हुए अर्थियों-यात्रों के द्वग कुबेरक भा.. • पदों-नागोंको संरत्तिको भी लजित कर देते हैं ॥ ११ ॥ इम..
नगरीकी श्री या नगरी मुनंगोंसे वेष्टित थी इसलिये ऐसी मालूम • पड़ती थी मानों वाल चंदनवृक्षकी लता हो । इसपर भी वह अ- त्यन्त रमणीय और.सदा विबुधों ( पंडितों, दूसरे पक्षमें देवों) के . --समूहसे भरी रहती थी इसलिये ऐसी मालूम पड़ती थी मानों स्व:
गपुरी ही है ।। १२ ।। .. .. . .: . . . मत्र नगरोंमें सिद्ध-प्रसिद्ध इस नगरीमें 'वज्रसेन यह
प्रसिद्ध है नाम जिसका ऐसा राजा निवास करता था । इसका 0