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پنبه بجنننببغب
. आठवां सर्गः। [११६ चमक रही है. ऐसे पृथ्वीर प्राप्त नवीन मेघकी सदृशताको धारण किया।। ६५ ॥ हाथी कलकल शब्दसे व्याकुल हो उठा । इसी लिये उसने दूनी उन्मत्तता धारण की । तो भी चतुर पीलवान झटसें उसको हाथीखानेमें ले गया । जो कुशल मनुष्य होता है उसको.चाहे जैसा आकुलताका कारण मिले तो भी वह घबड़ाता नहीं है ।। ६६ । उन्नत किंतु .गुणनम्र ( औदार्य साहस धैर्य पराक्रप आदि गुणोंसे नम्र; दूसरे पक्षमें डोरीसे नम्र ) मंगवर्नित (जिपका कमी अपमान नहीं हुआ; दूसरे पक्षमें जो कहीं टूटा नहीं है) जो निंद्य वंशमें (कुछमें; पक्षांतर में बांसमें ) उत्सन नहीं डुआ है. ऐसे अपने समान धनुषको पाकर कोई २ वीर बहु। सुंदर मालूम पड़ने लगा । योग्यका योग्यसे सम्बंध होनेपर क्या श्रीशोभा नहीं बढ़ती ! बहती ही है ।। ६७ ॥ जिनके हाथ मालेसे चमक रहे हैं. ऐसे कवच पहरे हुए सधारोंने अपनी अभिलाषाओंको सफल माना और.वे हरिणसमान वेगवाले दौड़ते हुए बोड़ोंपर झटस चढ़ लिये ॥ ६८ ॥ निरके जूआओंमें घोड़े जुत्र हुए हैं, तथा अनेक प्रकारके हथियार भीतर रखे हुए हैं, जिसके ऊपर घनायें लगी हुई हैं. ऐसे.रयोंको कवचसे सुसज्जित जूभार बैठनेवाले-हांकनेवाले अपने २. स्वामियोंके रहने के डेरेके दरखानेके पास ले गये ॥ १९॥ यश ही निनका धन है ऐसे युद्धके रससे - उद्धत हुए मटीने.विचित्र २. ही कवच पहरे और अपने २ अभीष्ट हथियारोंको लेकर जल्दी करनेवाले अपने २: राजाओं के सामने आकर हाजिर हुए ॥ ७० ॥ रानाओंने अपने करकपलों से अपने सेवकों का सबसे बहले भाग पुल बन्न आदिके द्वारा सत्कार किया। सेवकोंको
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