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ནཱཛཱཙྪཱ ཙྪཱ नाम इससे को रह सकी है वो और राह ने रामले भी आ पैर से फेक देता है। राबरीमा चर सुररि दुनिहाइ युद्ध भई बनकर तोरो
क्या रिलमोजकर बलि रहारी॥ विना समय के मेघ लगिल उजलमा में !
अरनबूट प्रहार बोर. रघुवर से फै। नामए-पहाड़ के पास कैदीला और बनुन्दर नलान भूमि फैल रही है।
शरी~-यह ऋष्यमूक और पासर के पास की भूमि है। धागे मत मुनि का प्राश्रम है। शशिनही है तो भी यहाँ होल हो रहा है. लेम का कटोरा रक्या है, कुल बिका हुना है और भी की सुगन्ध पा रही है।
राम-बड़े नास्त्रियों के नप का प्रभाव नमक में नहीं प्राना! शवरी महाराज देखिये देखिये :
उगे वैत भिरननके ती। फूल द्वारि वालत सरितीर!
आरन डिपति बहु सावन ।
निज जोक्नमदमट सतावत । और माल के पो रहे इस गिरिलोहन माहि:
गजि उठाबत बन सल जब लय सिन गुराहिं। सिरत शाल के नाम से इह हाथ महम
दूध बहत पल्लव टुटन फैलन डुई गन्ध !! ____ लक्षा---पाई क्या है जिसे भाई पुरवाईसे हिलते हुए कदसबों को वन मैं आँखों में ऑल्लू भर के देख रहे हैं और धीर होने पर भी तुप पकड़ के संभल कर खड़े हो गये हैं।
शबरी-भैया तुम नहीं देखते।