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________________ खान नाटक मरिमन शबरी- सर परण के माप वार सभी शिजी कारद अपने भाई का कीड़, सुनील मित्र होने व्यक पनि घर विदा लाया है उसने मार विष्ट की है। चिट्ठी देतो है। लम लेकर यहत्त: है } वस्ति श्री महाराजाधिराज राम धोने जाकै भर हि ई गति संसार होय धर्म की वृद्धि का धर्मरखधान अया को इतने बड़े मित्र या प्रसाराज विभी. प्रया का उन्टर रन्द अदमण-शव आरने उन के परममिज हाशेश्वर कहा तो अब और बडेला क्या होगा । सर-दुमने ठीक कहा।। शबरोहन पर बड़ी कृपा हुई । लक्ष्मण-श्रमण जी कहिये विभीपा से आपको कुछ सीता जी की भी सुध मिली है। शवरी-अभी तो नहीं मिली। जब वह पारी राक्षस सीता के लिये जाता था लव यह दुपट्टा शिल पर अनसूया का नाम लिखा है गिर पड़ा था सो इन लोगों ने उठा लिया ! राम-~-हाय प्यारी बन में तूही एक प्यारी संगिनी थी! हाय : MERधरी जी किसने उठाया और क्यों आया! शवरी-ऋष्यमूक पहाड़ पर रामचन्द्र जी को मानने वाले सुग्रीव विभोपरा और हनुमान जी ने। रामजी इन महात्माओं को देखना चाहिये । इन की महिमा तो संसार में उजागर है और हम पर विना कारण के इतनी कृपा करते हैं । बह कपड़ा सीता का गिरा है उन्ले भी देवता . 'बाहिये वो ऋज्यमुक हो बलें। Reatra
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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