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मह छारचारना नयान के इधर का
होगों ने
लन -5 से हम लेागों में गिरी को किया का པ ཙེ ཙེ '' པཚུ བུ ི ཀའི 《 ལྟཚེ: ཀླུ་ སྨ༧ बहुत दूर होगया अब तो यह आगे डरावने जंगल हैं और हैं: हो यो दाल कच्छम बन कर बहन है जहाँ बंध रहता है ।
रामजी उल पापी बाई के भर के देखन्दा आहे परदे के पीछे अरे दौड़ोदौड़ो एक शापो राजस कारन में एक श्री के साचे निये जाना है बवानो अरे बचाओ
जबर जाति की लापतो मैं आराम ARE तपबन रहतमग के पानी दम राम समसया लक्ष्मण जानो जाओ। स्तनप्रण -~-मैं अभी जाता है। बाहर जाता है। राम-हा, प्रायशिया तुम है। कहाँ चली बेगि सुनाउ ।
रे भुला दुःख लिज सोउ नहि सुलभ उपाय विना वापरावन बच्यो मेहि कलंक लगाय! मला लोह निज हाँ यह पहिले और बढ़ाय।
मा शवरी और लदमाश आते हैं लक्ष्मी लन निज दौल सो काटिकाटिरा बास
काजा सम मेहिन रस छिन छिन परत जात
कल शोजनाबाहु को देह कुर्ट विलाकि !
दादा सम अति धौरह सकते हैली न रोबिक सबरी जी, दादा व बैठे हैं।
शबरी महाराज की जय हो । राम-हमैं क्यों इंढ़ रही है ?