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________________ चान नाटकमामामाला महामः किमि का नारा हाथ जोड़ केविना मालो, दशनुन कति नोकरलो हैहथईस। जीरा पनुज, ताहि मैं जीती देह मलो दा-सेमा रामचन्द्रमाम अव दमाहामा जन-जो अच्छी बात है इले होने दीजिये। चन्द्र की . Sp मलत्तन को वह हरिहैं जानिधान । नुनि वसिष्ठादिकलकल पाहि के मह मलान ।। -निज प्रजापालनधर्मरत जामा विदित सदा रहे। कारे यज्ञ बेदविधान लित जो पुरुष रविकुलनपलहे। लोई बहाने श्रीराम माजहि जन्म मापन जनु लह्यो । सवज्ञ जानत ब्रह्म तासुप्रभाव जो यहि विधि कहो।। परशुराम्रो जीनाजकुमार परशुराम को जोतो (मुसकाके) 'त सका। रेणुका का लडका तुम्हारा काल है, वडा कठिन का जीतना है। अब तो कटत नियत सीसवलत लोहू की धारा नड़कत शर की प्रबल आगि लब है छनकारा। बजत डोरि धुनि जि कुंज सम लहि ब्रह्मा । कालधोरमुखकाज कर यह मम कोदंडा ॥ (सव बाहर जाते हैं। Psor hd E १८ Amer + चौथे अहु का विष्कम्भक स्थान--लक्षा, माल्यवान का र] परदे के पीछे। नो जी सुनो देवताम्रो मंगल मनायो, मनाम्रो
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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