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वामद - वो हर इक भी की मानः पुर अनु हो ।
ཡབའཁཀྑ – -ཆབ 'ཚུདྡྷཾ མནཾ པཎ; g, ཚེ ལྷུ་ पता: विशेष कर तुम्हारे दर्शन से और.
p? % ས་སྨྱུ་ གྷཱ ནྟིཡ རྩིས མཱི་ཀཱི ཨཱཉྩy , ge- གལ पशु-पुरोहित जी, वेदराठी, भरलेवाला, यावलकर का शिष्य बड़ा नामानुल सुना जाता है। पर हम अतिथि लत्कार नहीं मानते, हम पाहुने नहीं। शान्ता ----पैति कुमारी के मन्दिर में तुम ऋष्ट किया गृहधर्म मा.
परशुभ-हम तो धनलाली ब्राह्मण है हम महाबाओं के घर की रीति अया जाने । ।
- आम्ही आप ) जिलने संसार को दान कर दिया। उसे राजाओं से गई जनाना केला असा लगता है। जनकाकत है हमारे केहि कारन छेड़त हो रघुवंशकुमार।
कंचुको माना है) कंचुको-कंचन छोरन रानि मिली वर जिये नाथन लाइव बारा :
उनक और शता--भैया राममन्द्र तुम्है तुम्हाली लास जुला रही है. जानो।
राम---महात्मा परशुराम जी देखिये बड़े की बात यह हैं।
पर कुछ योग नहीं है! लोकरीति कर दो। जायो सातु में हो आओपर वनवासी नारों में बहुत देर तक नहीं ठहरते इस से हम जाना चाहते हैं बिनम्व न करना
म. २