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________________ 12: x Re मृतिका ● सो अव जनसहित पा सर्प तो बार उसे है। शुक सूर्य और यह के फोन से है मायक कु है सोई ि भु तो पीकर कुरान की हि के उ श्री ऋष खलो शिथिमा जाने के लिये को होप { से। ऋतिक सुजन महामर नाट पर गंभीर सकल सुखद जनुष्य की राख वीर कति वीर प्रति विशुद्ध जल मिस प्रमुख प्ररताप दरसन बचत तेज बस निकास पा कर ले जाते हैं ; | दोनों इति । दुखमा प 1 पहिला स्थान--- जनकपुर राजमविलें श्री एक कमर 5 (परदे के पीछे ) हे ओ विदेहराज के दाम वासिय चन्द्र कन्या के महल में घुसा बैठा है, उससे जाके कहो तो जोति त्रिलोक जो गर्वित होय महल समेत पहार उठावा | से घर को अभिमान से खेल से न सह नावा ऐसहुँ हैहय के म नरेस की कोपि जो पारि विराया | काटि के डार से बाहु हजार के पेड के ठूंठ समान धनाचा ॥*
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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