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मृतिका
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सो अव जनसहित पा सर्प तो बार उसे है।
शुक सूर्य और यह के फोन से है
मायक कु है सोई ि
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तो पीकर कुरान की हि
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श्री ऋष खलो शिथिमा जाने के लिये को होप
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से।
ऋतिक सुजन महामर नाट पर गंभीर सकल सुखद जनुष्य की राख वीर कति वीर प्रति विशुद्ध जल मिस प्रमुख प्ररताप
दरसन बचत तेज बस निकास पा कर ले जाते हैं ;
| दोनों
इति ।
दुखमा प
1 पहिला स्थान--- जनकपुर राजमविलें श्री
एक कमर
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(परदे के पीछे ) हे ओ विदेहराज के दाम वासिय चन्द्र कन्या के महल में घुसा बैठा है, उससे जाके कहो तो जोति त्रिलोक जो गर्वित होय महल समेत पहार उठावा | से घर को अभिमान से खेल से न सह नावा ऐसहुँ हैहय के म नरेस की कोपि जो पारि विराया | काटि के डार से बाहु हजार के पेड के ठूंठ समान धनाचा ॥*