________________
चना
रिमाला
रघुकुल पर बड़ी
- हवा जा रहे है
हुई
US
-क्या ताकी के विरुवात देवकः
ये है कहिल
इ अकाल उठ सौ साल फैलतनम डोती में तनिक विला
शारजा ||
महं मातुश्री जोतिबाये ।
जरत किरन
मंगल तेज परमाप प्रकालन । रिक्ति
फैलाये !
की मालत ||
कन्या-चारों ओर विजली चमक रही हैं, अर किला पड़ती है।
-दिव्यrat का तेज भी फैला प्रचण्ड होता है, व और इन्द्र की लड़ाई याद आती है । जब इन्द्र भरि शक्ति हम्यो तिज बजे प्रचण्डा राक्षसपति कर वापत भये ताके सतखण्डा | ऐसेहि तथै करोरि बिज्जु जनु नभ महँ काई । मिलत नाथको हाँसि रोषज्दाना की नाई ||
भैया रामचन्द्र इनको नमस्कार करके विसर्जन काल अनि अरु वायु वरुन ब्रह्मा अरु धनपति । रूद्र इन्द्र प्राचीनवर्हि बारे प्रभाव अति ॥ मन्त्र सहित ए नत्र घोर तपबल को नाई । एकहु इन सह सकै जगत सब नासि, बधाई