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कल
श्रीमहावीरचरितभाषा
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प्रस्तावना
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( नाम्दो)
से जो रहित स्वस्थदेव जगवील :
क्रम नित्य ज्योति चैतन्य प्रभु ताहि नाश्य सीस
| नाली के पीछे सूत्रधार बात है )
सूत्र -- प्राजके महा मिली है कि ऐसा नाटक खेती. संगम पुरुष महान की जहाँ रहें अनि घर | बात रहेमा अर्थ समेत कठोर
रहे अलोकिकपात्र में जहाँ पर एक 1 निभिन से लखपरै प्रति बाधारविवेक ||
तो इसका अभिप्राय यह है कि महावीरचरितनाटक खेलन चाहिये, जिसको
ऐसे कवि रचना करी रहे जासु यस वानि । कथा मानुकुलचन्दको जग मंगनको खानि ॥
सो मैं हाथ जोड़ के निवेदन करता हूँ कि दक्षिण देश में पद्मपुर नाम नगर था जहाँ तैत्तिरीयशाला के अवलम्बन करनेवाले. चरणगुरु, पंक्तिपावन, सोमयज्ञ करनेवाले पंचान्नि, काश्यपगोत्र के, वेदपाठी gufers त्राह्मण रहते थे । उन में से वाजपेयीजी यात्रा का मत है सौ गुरू इत्यादि मूल
मात्र श्रीका