________________
प्राचीन नायिका
स्थान अबाव्या राजमन्दिर (वलि अहमवतो कौशल्या सुमिना कियो बैठी हैं अग्निष्ट-- अापही प्राप
मालिन्धु गुमान के मानहु घरम निश्राद । मारतजन के दुपद का उपय से मूरतिमाम इन खिसईदेखि कपाराम श्रीराम
भये लो पर मन्द सन हम सम पूरनकाम !! • तो भी लोति करनी ई बाहिद ! { प्रकाश बहू कौशल्या
सुमित्रा:
कोशल्या और भिना काहेथे गुरुजी , वधि --हम लोगों की मार से लड़के लौटवाये। . . कोयत्या और नुमिनाप की भरसों से।
महन्धती-( कैशी को जाकर) तुम परें उदाल फैटी हो।
कैकयी माता मेरे अनाग ले सब लोग यह कह रहे हैं कि मनोमाने मन्थरा लेसनेसा कहला कर लड़कों को वनवास दिया तो अब मैं बच्चों की क्या मुँह दिखा।
अरुन्धती-बहू तुम सोच न करो। इसका भेद तुम्हारे गुरु: जो ने समाधि से जान लिया है।
सब-क्या ? क्या?
अरुन्धती-माल्यवान के कहने से शुर्पणखा में मन्थरा का रूप ঘ ঈ অ এ স্কি । ____ लव स्त्रियाँ-राक्षस भी बड़े ही पापी होते हैं देखो यहां तक की स्त्रियों को भी दुख देते हैं। | অলি-মজী মল্ল জ ম স জ ঞ্জ ক্ষী এ রুল हो। राक्षसों की पढ़ाई की बात का यह कोन अवसर है। ( राम लक्ष्मण भरत शत्रन सीता विभीषण भारि माते है)