SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 114
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २ प्राचीन नाटक मणिमाला अलका-तुम बडीशोधी है। शाप के अल उसकी मनि भी हो साई चीन की उलझनी होप न था। (परदे के पीछे हुल्लड़ ही है। दोनों बड़ा कर सुबती है। फिर परदे के पीछे सुनो जी तीनों लोक के जीव जन्तु ! रुद्ध अर्क असु के सहित यहि अवलर सुरक्षा सोय लता का देत है बन्यवाद हरयाय । तानु अनि मह शुद्धिवान रघुबीर उभर बंशति का तह फिर की सीकार __ मलका- क्या देखता रमन के घर में सीता जी के रहने से जो चबाय का डर है उसको मिलाने के लिये सीता जी की आर से निकलने पर बड़ाई कर रहे हैं? ह, सचिन लौकिक तेज यह पलिबरता की जोति । यह अचरज पर जानियत लोकरीति यह होति । लंका--(सुनने का भाव बताकर अरै बधाई के शाजे गों बज रहे हैं और नाना क्यों हो रहा है। अलका--( नेपथ्य की ओर देख कर ) अ यह तो सीता जी की शुद्धिके अनुदान के लिये जो अप्लर उतरी थी और देव ऋषि आये थे वह सब रामचन्द्र जी के कहने से मिलकर बिभीघर को राजतिलक करने गये थे अब लौटे जा रहे हैं अच विभी. पता शुल्पक को आगे किये हुये पा रहा है। तो अब बलो ऐसे सहज सहिसाबाले और उदारचरित रामचन्द्र जी के दर्शन से अपने लोचन सुफल करें। (दोनों बाहर आते है।
SR No.010404
Book TitleMahavira Charita Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Sitaram
PublisherNational Press Prayag
Publication Year
Total Pages133
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy