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महाचोरचरितमाया (बिमान पर बैठा हुमा चित्ररथ आता है। चित्र:-देवराज की जय ! इन्द्रधराज हो लड़ाई देखने को जी चाहः । जिनऔर भी एक कारन है। इन्द्र-और कमा है। चित्र:-धनेश की आज्ञा इन्द्रकै शE चित्र:- यहि की जनमधरी सनाढ़ा :
मेरे हियेनार का गाना ललि करनी सब के हित सरका: रह्यो च्यापि अब सोइ लोक तासु मरनदिन आज दैव बस ।
देखें अब परिणाम होत कल हो जानने का हमें भेज दिया। इन्द्र-अजी वह दोनों एक ही बंश के हैं उन्हें भी दी
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चित्र-इल में क्या अचरज है यह दोनों तो एक दृल्लने के जनम ले वैरी हैं। धनेश पर रावत का कल लो प्रविही है जो इस रे निधि और पुष्पक आदि के हरने में किया और यह भी क्या है।
जेले जोत्र जन्तु जग जाये। सब यहि के दुश्चरित सत्ताये। आज मनात सकाल लप्रीती
श्रीरघुवंशतिलक की जीती। इन्द्र-देख के गंधर्व राज हमें जान पड़ता है कि राम ने थियार चला दिये क्योंकि देखो बन्दरों को लेना कैसी तिलर बतर भाग रही है हल्ला ऐसा मचा है मानो समुद्र की बड़ी भारी बहर नट की पाली पर करवा रही है।