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भगवानका शुभागमन ।
७३ व्रतान्त कहा था और उन खमोंका फल सुना था। महाराजने आपको अर्हासनपर बैठाया था। इससे उस समयके पुरुषोंकी महिलाओं प्रति आदरपूर्ण दृष्टिका अवलोकन होता है। वस्तुतः इन खमोंका जो वर्णन है, वह अवश्य महत्वका है क्योंकि प्राचीन समयके नो सिके, स्तूप अदि निकलते हैं उनमें ऐसे ही चिन्ह रहते हैं । इतिहासवेत्ता यदि जैन चिन्होंको अपने ध्यानमें रक्खें तो ऐतिहासिक निर्णय, विशेष उपयुक्त हो।
(१) रानीने पहिले एक उन्नत चार दांतोंवाला हाथी देखा था। इससे यह भाव व्यक्त होता है कि एक तीर्थकर भगवानका जन्म होनेवाला है। (२) पालतू भाग्यशाली बैल देखा, जिसका वर्ण सफेद कमलदलसे भी स्वच्छ था। इससे एक बडे योग्य धर्मके प्रचारकका होना माना गया है। (३) सुन्दरसिंह आकाशसे रानीके मुखकी ओर उछलते देखा। इससे यह व्यक्त होते समझा गया कि एक ऐसा बालक जन्म लेगा जो प्रभावशाली अतुल वीर्यका धारक होगा । (१) श्री अथवा लक्षमीदेवीको देखा। इससे प्रकट होता था कि बालक एक जन्मसिद्ध राज्याधिकारी होगा। (६) दो मन्दार पुष्प मालाओके देखनेसे भाव यह है कि वालक सुगंधमय शरीरका धारक यशस्वी होगा । (६) चन्द्रके देखनेसे मोहतमका भेदनेवाला होगा। (७) सूर्यके देखनेसे भव्यरूप कमलोंके प्रतिबोधका कती
और अज्ञानान्धकारका मेटनेवाला होगा। (८) मीनयुगल देखनेसे यह अनन्त सुख प्राप्त करेगा। (९) दो घंटोके देखनेसे मंगलमय शरीरका धारक उत्कृष्ट ध्यानी होगा। (१०) सरोवरके देखनेसे जीवोंकी तृष्णाको सदा दूर करेगा। (११) समुद्र देखनेसे यह