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भगवान महावीर |
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सब तरहसे भरपूर था । सुन्दर गृह थे । मनमोहक देवमन्दिर थे । चित्तहारी सलौने बाग और बंगीचे थे। एक तरहसे वह देश साक्षात स्वर्गका भास कराता था । वर्तमानका मुजप्फरपुर जिलेका बसाड़ ही यह वैशाली माना गया है। इसी सर्व सम्पन्न देशके निकट भगवान महावीरकी जन्मनगरी कुण्डलपुर थी, जिसका वर्णन जैनशास्त्रोंमें खुब दिया हुआ है। और जब हम वैशालीका जैसा वर्णन देख चुके हैं तब उसके निकटस्थ नगरके निम्न वर्णनमें कुछ अतिशयोक्ति प्रतीत नहीं होती ।
श्री गुणभद्राचार्य विरचित उत्तरपुराणकी भाषा छन्दोबद्ध वृत्तिमें भगवानके पितृगृहका वर्णन इन शब्दोंमें किया है जिससे ज्ञात होता है कि उस नगर में विशाल सुन्दर गृह थे - "सप्तषं प्रमाद उतङ्गा स्वेतकणकमयत असु अङ्ग॥ ऊपर मंदिर सोभ सार । नाम सुनंदावर्त्त विचार ॥" ( हिन्दी उत्तरपुगण ) श्री अगग कविकृत महावीरचरित्रमें इस नगरका विशेष इस प्रकार वर्णन है :
"उस देशमें जगत् में प्रसिद्ध कुंडपुर नामका एक नगर है वो अपने समान शोभाके धारक आकाशकी तरह मालूम पड़ता है । क्योंकि आकाश समस्त वस्तुओंके अवगाहसे युक्त है । नगर मी सब तरहकी वस्तुओं से भरा हुआ है। आकाटामें भाम्बत्कलाage. (सूर्य चंद्र और बुध नक्षत्र) रहते हैं, नगरमें भी गावान तेजस्वी कलावर-कलाओं में धारण करनेवाले हैं। जाम मप-नृप नक्षत्रसे युक्त है; नगर भी सप-धर्मसे
बुध - विद्वान रहते