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भगवान महावार । अंतिम व्यक्ति (पार्श्वनाथ) पौराणिक न होकर कुछ अधिक हैं।" अर्थात् ऐतिहासिक हैं । अस्तु । ___ उधर जैन शास्त्रोमें वर्णित मौर्य सम्राट्को भी अब आधुनिक इतिहासवेत्ता जैन स्वीकार करने लगे हैं। इसीसे तो श्रीमहामहोपाध्याय स्व. डॉ. सतीशचन्द्र विद्याभूषण, एम० ए० पी० एच० डी० इत्यादिने अपने २७ दिसम्बर सन् १९१३ को काशीनीके व्याख्यान में कहा था कि ऐतिहासिक संसारमें तो जैन साहित्य शायद जगतके लिए सबसे अधिक कामकी वस्तु है।
अस्तु, तात्पर्यरूपमें कहा नासता है कि जेन शास्त्रों के वर्णनका आधारभूत बहुतायतसे सत्यपर निर्भर है। और उनपर विश्वास किया जासक्ता है। __ इसलिए ऐतिहासिक व्यक्ति श्री पार्श्वनाथ भगवानके उपयुक्त वर्णनपर विचार करनेसे विदित होता है कि जनसमुदायका मैनियोंको पारसनाथका ही भक्त मानना यथार्थ है। और उनकी मान्यता भी स्वयं जैनियोंमें विशेष रूपसे है। पार्श्वनाथ भगवान
१०० वर्ष तक जीवित रहे थे और मोक्षमार्गका उपदेश लोगोंको । देकर ईसासे ७७६ वर्ष पूर्व निर्वाणको सम्मेदशिखर (Parasnath { HI)से प्राप्त हुए थे। आपके ही नामके कारण वर्तमानमें सम्मेदशि
खर पारसनाथ हिलके नामसे विख्यात है। आपके १० गणधर थे। ___ इस प्रकार पार्श्वनाथ भगवान जैनधर्मको फिरसे उत्तेनित करनेवाले ऐतिहासिक व्यक्ति ईसा पूर्वकी ९ वीं शताब्दिके थे। अब अवशेषमें चलिए अन्य २० तीर्थंकरोंके, जीवनका दिग्दर्शन करके महावीर भगवान के जीवनका परिचय प्राप्त करें। . .