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- भगवान महावीर ।
वैसी मान्यता न रहनेके कारण ऐसी घटनाओंमें लोगोको शंका होती है; परन्तु उन्हें जानना चाहिए कि आध्यात्मिक बल एक ऐसा बल है कि उसके सामने सब बल निःसत्व होजाते हैं । इस प्रभावका स्वरूप वे ही लोग देख सके हैं जो ईश्वरतत्वके स्वरूपको समझ चुके हैं। ऐसे अनुभवमें न आने वाले विषयकी बुद्धि द्वारा शब्दोंमें व्याख्या करना व्यर्थ है । स्पिनोजा ( SpinozD } नामक एक तत्ववेताने बहुत ठीक कहा है:- To difine God is to dony hinı अर्थात् ईश्वरकी व्याख्या करना मानो उसे अस्वीकार करना है । ".... यह युग शरीरबल और कुछ थोड़े विज्ञानबल या बुद्धिवलको समझने लगा है; परन्तु आध्यात्मिक वळके समझने के लिए इसे अब भी बहुत कुछ प्रगतिकी आवश्यक्ता है ।" अस्तु, प्रत्येक अविसर्पिणीके चतुर्थकालमें ऐसे ही २४ तीर्थकर जन्म धारण करते है । और वैज्ञानिक रीत्या अथवा वस्तु 1 'रूपके अनुसार सत्य धर्मका स्वरूप भवाताप भयमीत जगतको समझते हैं और उसको सच्चे सुखका रास्ता बतलाते हैं । यह २४ तीर्थकर श्रमवार धर्मका उद्योत करते हैं। इस प्रगतिशील युगमें श्री ऋषभदेवको आदिले महावीर भगवान तर्क २४ तीर्थकर हुए थे। इन्होंने अपने २ समय में धर्मका प्रचार किया था। इनका पूर्ण वर्णन जैन पुराणों में मिलता है। हम यहांपर अगाड़ी चलकर इनके जीवन पर साधारणरीत्या प्रकाश डालेंगे; जिससे कि भगवान महावीरके जीवनको समझने में हमको सहायता मिले । '
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