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(१२) इस कालमें अन्तिम वार परमात्मा महावीरने फिर स्थापित किया था तथैव परमात्मा महावीरको नमस्कार है । इसी कारण वह हमारे जीवन के लिए पूज्य आदर्श हैं कि हम उनके चरणचिन्होपर चलकर उस सर्वोत्कृष्ट पदको प्राप्त करें जिसको उन्होंने स्वयं प्राप्त किया है।
___ इन थोड़े शब्दों सहित मैं सहर्ष एवं सानुरोध प्रगट करता हूं कि धर्मप्रेमियोंके लिये बाबू कामताप्रसादनी कृत " भगवान महावीर" की पवित्र जीवनी अधिक उपयोगी होगी और आशा फरता हूं कि भव्य जन इसके पाठसे लाभ उठावेंगे। इति शुभम् ।
हरदोई। भक्टूबर १९२३
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चम्पतराय जैन,
वैरिप्टर-पट-ला।