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११८ भगवान महावीर। और ख़ासकर कहा कि भिक्षुओंको केवल बनमें रहना चाहिए, मांस नहीं खाना चाहिये, और फटे पुराने कपड़ेसे शरीरकी रक्षा करना चाहिये ।" (See Gobama Buddha by K. T. Saundars
2. P. 72-78.) ___अस्तु, हम देखते हैं कि बुद्धने प्राचीन धर्ममें सुधार मात्र किया था, जो भी यथार्थ न था। किन्तु बुद्धदेवको ज्ञान प्राप्त करनेको इतना दृढ श्रद्धान भगवान महावीरके जीवनसे प्राप्त हुआ था। जैसे कि निन्न पंक्तियोंसे प्रकट है। परन्तु आश्चर्य है कि बुद्धके जीवनचरित्रमें उसके ५०से ७० वर्ष तकके जीवन की घटनाओक उल्लेख नहीं है। जैसे कि विशप बिगनडेट साहब कहते हैं कि "करीब २ एक पूरा अभाव है।" ("An almost complete blank." See Gotama Buddha P. 45) , इसका कारण भी यही है कि इस समय में भगवान महावीरका पवित्र विहार हो रहा था, जिसके कारण बुद्धकाप्रभाव उठसा गया था। और उल्टे भगवान महावीरका प्रभाव इनके संघपर पड़ा थां, जिससे उसमें मतभेद होगया, क्योकि उसके शिष्य मी असलियतको और अपनी कमताइयोंको जान गए थे। पुनः जब ७२ वर्षकी अवस्थामें बुद्धको हम कर्मक्षेत्रमें देखते हैं, तो उसका प्रभाव पहिले जैसा प्रगट नहीं होता, क्योंकि जब वह राजगृहमें पहुंचते हैं, तब खयं पुछनेपर एक कुम्हारके घरमें रात विताते हैं। ___ अस्तु, भगवान महावीरका प्रभाव म० बुद्धपर भी पडा था,
और उनकी सर्वज्ञता एवं उनके धर्मकी यथार्थता बुद्धके निम्नशब्दोंसे प्रगट है, जिसमें उसने इन बातोंको स्वीकार किया है और अपने क्षणिक सिद्धान्तमें अश्रद्धाको भी प्रगट किया है अर्थात