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छ भूमिका।
श्री पूज्य परमात्मा भगवान वर्द्धमान महावीरका जीवनचरित्रइतना अद्भुत और अनुपम है कि जिन्होंने उन्हें उनके जीवनकालमें देखा था वे भी उनका जीवनचरित्र वर्णन करनेमें असमर्थ रहे, तो फिर वर्तमानकालके लेखकोंकी क्या शक्ति है जो उसको पूर्ण रीत्या वर्णन कर सके। आज श्रीभगवानके निर्वाणको २४४९ वर्ष हुवे हैं। इतने समयके पश्चात् भगवानकी शुभ जीवनी लिखना और उससे यह आशा करना कि वह सर्वाश ही भगवानकी दिव्य मूर्ति या उनके पूज्य गुणोको दर्शा सकेगी, एक झूठा विचार है, तथापि मेरे परम मित्र बाबू कामताप्रसादनीने बड़े परिश्रम व कष्टसे बहुत कुछ सामिग्री उक्त पूज्य तीर्थकरके जीवनकालकी एकत्रित करके उसको बहुत सुन्दर रीतिसे लेखबद्ध किया है इसके लिये मैं उनको हार्दिक धन्यवाद देता हूं।
कुछ काल पूर्व स्वयं मेरे हृदयमें एक बार यह उमंग पैदा हुई थी कि मैं पूज्य अन्तिम तीर्थकरका जीवन-चरित्र लिखू परंतु तीच अन्तरायकमके कारण मै इस शुभ कार्यसे चश्चित रहा। अब जव कि मेरे मित्र बाबू कामताप्रसादजीने अपनी इच्छा प्रगट की कि मैं उनकी पुस्तककी भूमिका लिखू तो मुझको अत्यन्त हर्ष प्राप्त हुआ, मानो एक प्रकार मेरी अभिलागाकी पूर्ति ही हो गई।