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श्रेणिक और चेटक।
१५३ बौद्धग्रन्थोमें चेलनाका उल्लेख है। श्वेताम्बर सम्प्रदायके प्रख्यात् ग्रन्थ निर्यावली सूत्रमें भी चेलनाको वैशालीके राजाओंमें एक राना चेटककी पुत्री लिखा है, जिनकी कि वहिन क्षत्राणी रानी त्रिशला महावीर स्वामीकी माता थी। वुद्धके एक तिब्बतीय जीवनचरित्रमें चेलनाका नाम श्रीभद्रा और कहीं २ मदा लिखा है। संभवतः राजा श्रेणिककी पहिली रानी नन्दश्रीकी अपेक्षा ऐसा लिखा होगा। वैसे साधारण रीत्या बौद्ध ग्रन्थोंमें चेलनाका उल्लेख वैदेहीके नामसे आया है और उसके पुत्र कुणिक अजातशत्रुका नाम विदेह पुत्तोंके नामसे व्यवहृत हुआ है । बौद्धग्रंथ दिव्यावदानके एक अवदानमें अजातशत्रुको वैदेही पुत्र करके लिखा है। और उसी ग्रन्थमें अन्यत्र वर्णन है कि " रानगृहमें राजा विम्बसार राज्य करता है । वैदेही उसकी महादेवी (पटरानी) है
और अजातशत्रु उसका पुत्र एवं युवराज है । " (See The Kshatriya Clans in Buddhist India P. 125.) इससे प्रकट है कि अजातशत्रुका जन्म वैदेही (चेलना) राजा चेटककी पुत्रीके गर्भसे हुआ था। जैन धर्म और बौद्धधर्मकी आपसी प्रतिस्टद्धाके कारण हम देख चुके हैं कि उन्होने कही २ पर इनके विषयमें-भ्रमात्मक वात लिख दी है जो कि खयं उनके पाली ग्रन्योमें नहीं है।
हम कह चुके हैं कि राजा श्रेणिकने अपनी चेलना रानीको अपने निर्ग्रन्थ गुरुओकी विनय पूजा और जैनधर्मका पालन करनेकी आज्ञा दे दी थी। इसके अगाडी श्रेणिकचरित्रमें वर्णन है कि इस वातको सुनकर बौद्धगुरु राजा श्रेणिकके पास आए थे, और रानी