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भगवान महावीर । किसानसे कहने लगाः-"रे मूर्ख ! तू यह क्या करनेको तत्पर हुआ है ? क्या तू जानता नहीं है कि ये महात्मा हैं । ये अपना ही राज्य, धन, धान्य सब छोड़ चुके हैं। तव तैरे वैलोंका क्या । करते ? " किसान इन्द्रकी वातसे सन्तुष्ट हुआ और अपने बैल लेकर चला गया। (देखो जैनसंसार वर्ष १ अङ्क ८-९) ____ इनके अतिरिक श्वेताम्बर अन्योंमें प्रभूके अपूर्व गुणोंको व्यक्त करनेवाले अन्य कथानक भी हैं। उपर्युक्त कथानकोंसे भगवानकी सहिष्णुता, प्रेम, दया, शील, संयम आदि सद्गुणोंका दिग्दर्शन भलेप्रकार होनाता है। ।
बिहार और धर्मप्रचार । 'गिरिमित्यवदानवता श्रीमत इव दन्तिनः
। अवहानवतः। तव शमवादानवतो गतमर्जितमपगतप्रमादानवतः
-श्रवृहतस्वयंभूस्तोत्र । . खामो समन्तभद्राचार्यजी उक्त श्लोक द्वारा व्यक्त करते हैं कि " हे वीर ! दोषोंके उपशम प्रतिपादक, शास्त्रोंके रक्षक तथा प्रकृष्ट हिसाके नाश होनेसे अहिंसावत वा अभयदान सहित आपका उत्तम विहार हुआ जैसे सम्पूर्ण भद्रलक्षणों सहित झरते हुए मदवाले जिसको पर्वतीय मित्तिका अवदान है ऐसे हायीकी गति होती है।"