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लिए इस अलकार ने स्वयं जगह बना ली, इस काव्य में एक सुनसान वातावरण या निर्जन वन में स्थित एक लता पर पतिव्रता नायिका अपनी पवन रूपी पति की गोद में आखें बन्द किए मानों आलिगंन बद्ध होकर निर्द्धन्द भाव से सो रही
___ यहाँ कवि निराला भारती-वन्दना के माध्यम से हमारे देश की संस्कृति का अद्भूत चित्र उद्घाटित करने का प्रयास किया है इस गीत के माध्यम से कवि ने राष्ट्रीय जागरण का प्रयास किया है
"भारति जय विजय करे कनक शस्य कमल धरे। लंका पदतल शतदल, गर्णितोमि सागर जल। धोता शुचि चरण युगल
स्तव कर बहु अर्थ भरे।" यहाँ कवि ने अपने देश (भारत माता) की तुलना सरस्वती से की है यह गीत-प्रार्थना-परक है इसमें राष्ट्रीयता का भाव मुखर है भारत माता सरस्वती के समान सुनहरे रंग के पके हुए धान्य-रूपी कमल को धारण किए हुए है यहाँ कनक एवं कमल धरे में कवि ने अनुप्रास अलंकार की झलक दर्शायी है।
___ कवि ने बड़े ही चातुर्यपूर्ण ढंग से बादल के प्रलयकारी रूप के माध्यम से भारतीय जन-मानस के जमीर को झकझोरते हुए कान्ति का आह्वान करता
है:
"तिरती है समीर-सागर पर अस्थिर सुख पर दुःख की छाया जग के दग्ध हृदय पर।
1. 'भारति-वन्दना' : अपरा : पृष्ठ - 9
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