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राग-अमर ! अम्बर में भर निज रोर!"
अनुभूति और अभिव्यक्ति की ईमानदारी तथा सच्चाई निराला की सबसे बड़ी विशेषता है। इस खास अर्थ में निराला प्रगतिवाद से जुड़ते हैं, उनके काव्य में विशाल जनःमानस की पीडा तथा गुरू-गर्जना का विराट दृश्य परिलक्षित होता है। और कवि बादलरूपी गुरू का ज्ञान की वर्षा का आह्वान करता है, तथा जन-मानस में जन-जागृति तथा देश भक्ति का जज्बा भरने का कवि का अनथक प्रयास है। महाकवि ने उपर्युक्त कविता में स्पष्ट किया है कि बॉधाएँ अगर आवें भी तो उसे दूर करें या और नई ताकत से उसका सामना करें।
राम की शक्ति-पूजा में नाटकीय तत्व:
निराला 'राम की शक्तिपूजा' में नाटकीय काव्य शैली का समावेश बड़े ही चातूर्यपूर्ण ढंग से किया है। और यह निराला का 'स्वगत् कथन' है। संवादों के माध्यम से निराला ने अपने आवेग-मूलक विचारों की सशक्त अभिव्यक्ति 'राम की शक्ति-पूजा' के प्रति की है। आवेग की अभिव्यक्ति ही नाटकीय तत्व का मूल गुण है। यह आवेग स्वयं ही अपने आप से प्रश्न करने लगता है, आवेग का उतार-चढ़ाव आद्योपान्त इस 'राम की शक्ति पूजा' में छल कर रहा है नाटक में जब वह व्यक्ति आत्महत्या करने के लिए तैयार हो रहा था कि तब तक शक्ति राम का हाथ पकड़ लेती है यही आवेग का उतार-चढ़ाव इस कविता में स्पष्ट झलकता है:
"है अमानिशाः उगलता गगन घन अन्धकार खो रहा दिशा का ज्ञानः स्तब्ध है पवन चारः अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल भू–धर ज्यों ध्यान मग्न केवल जलती मशाल ।
1. बादल-राग : निराला रचनावली भाग – (1)