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या लोक-लज्जा का रूयाल किए सारे बंधनों को तोड़कर अपने प्रियतमा के पास पहुंचना चाहता है :
"आयी याद विछुड़न से मिलन की वह मधुर बात • आयी याद चॉदनी की धुली हुई आधी रात
पहुंचा जहाँ उसनसे की केलि।
कली-खिली साथ ।।" जब कवि नायक-नायिका के पास पहुंचता है तो नायिका को अतीत की सारी बातें याद आ जाती हैं वह पवन के संयोग सुख से कम्पायमान सुन्दर देह-लता की याद आ गयी। इसी का सुन्दर तरीके से कवि ने मानवीकरण करते हुए नायिका अपने मिलन की प्रथम रात को सोच-सोच कर रोमांचित हो उठती हैं। तथा एक अजीब तरह का कौतूहल जो मादकतायुक्त है उसके मन में जागृत हो उठा है। यहाँ मिलन की याद का मानवीकरण सुन्दर तरीके से किया गया है।
___ कवि यहाँ सन्ध्या-सुन्दरी कविता को माध्यम बनाते हुए सन्ध्या कालीन वातावरण को उकेरा है। तथा साथ ही साथ प्रकृति का उस समय का सुन्दर नजारा मन में उभारने में सफलता पायी है।
"दिवावसान का समय; मेघमन आसमान से उतर रही ।
वह सन्ध्या सुन्दरी परी सी; धीरे-धीरे-धीरे ।।
1. जही की कली : निराला रचनावली भाग एक - पृष्ठ - 41 2. सन्ध्या -सुन्दरी : : निराला रचनावली भाग (1) - पृष्ठ-77
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