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यहाँ कवि जूही की कली का वर्णन प्रेम-गर्विता-स्वकीया मध्य नायिका के रूप में किया गया है। वह आगत-पतिका नायिका है। यहाँ हिडोल में उपमालंकार का सुन्दर समावेश है।
महाकवि निराला भारतवासियों को जागरण का संदेश देते हुए राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का संदेश देते हैं। साथ ही साथ अपने जीवन की उपयोगिता को सिद्ध करने का सन्देश देते हैं :
"आँखें आलियों सी किस मधु की गलियों में फँसी;
या सोयी कमल-कोरकों में
बन्द हो रहा गुंजार ।।" यहाँ महाकवि निराला का यह कथन कि जिस प्रकार भौंरा मधुपान में मग्न होकर अथवा कमल-कली में बन्द होकर अपनी गुंजार को भूल जाता है। उसी प्रकार तुम भी स्वार्थमय होकर राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य को भूल जाते हो 'अलियों' की उपमा 'भौंरो' से दी गयी है।
महाकवि निराला सन्ध्या सुन्दरी का वर्णन एक सुन्दरी रमणी के रूप में चित्रित करते हुए कहा है कि
"दिवावसान का समय; मेघमय आसमान से उतर रही है।
वह सन्ध्या सुन्दरी परी-सी; धीरे-धीरे-धीरे।
1. जागो फिर एक बार (1) : निराला रचनावली भाग (1) -- पृष्ठ-148 2. सन्ध्या-सुन्दरी : : निराला रचनावली भाग (1) - पृष्ठ-77
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