SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पीढ़ी को साथ लेकर चलने का एक सुन्दर प्रयास किया है, नायिका अतीत के माध्यम से अथवा वह जीवन माँग रही है एवं पूंछ रही ही कि वह मेरा अलसाया जीवन कहाँ है। जो प्रियतम् की काँटों मे बँधा रहकर भी स्वछन्द बना रहता था यहाँ 'बँधा बाहुओं से भी युक्त में' विरोधाभास का पुट स्पष्ट झलकता है। रूपक : प्रस्तुत का अप्रस्तुत में एक प्रकार का अभेद रूप से आरोप रूपक होता है। या जहाँ उपमान का सारा रूप उपमेय में चित्रित हो और केवल सादृश्य ही का भाव न हो वरन् एक रूपता के साथ ही अभेद का भाव भी हो, वहाँ रूपक होता है। महाकवि निराला की यह कविता आधुनिक हिन्दी काव्य की प्रगति की सीमा मानी जा सकती है। 'राम की शक्तिपूजा' काव्य में राम-रावण के युद्व का वर्णन है। महाशक्ति रावण को संरक्षण प्रदान करती हैं। फलस्वरूप राम के समस्त शस्त्र विफल होते हैं - कवि राम-रावण के अनिर्णीत संग्राम का वर्णन करती हैं : "रवि हुआ अस्त ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर; उद्गीरित-वह्नि-भीम-पर्वत-कपि-चतु : प्रहर जानकी-भीरू-उर-आशाभर-रावण-सम्बर।। राम-रावण के युद्ध का सजीव एवं चित्रात्मक वर्णन है यह वर्णन वीरगाथा काव्य के वीर रसात्मक वर्णनों का स्मरण कराता है भाषा विषयानुकूल है और 1. राम की शक्ति-पूजा : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ - 329 132
SR No.010401
Book TitleLonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPraveshkumar Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy