SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भरते हो प्रबल वेग प्लावन का; बहता है देश निज ।।" निराला के उपर्युक्त काव्य में देश-भक्ति, राष्ट्रप्रेम का स्वर मुखर है, कवि देशवासियों को चेतावनी एवं भविष्य का मार्गदर्शन भरे लहजे में सम्बोधित करते हुए अतीत के कुछ दृष्टातों को उदाहरण स्वरूप दर्शाते हुए कहता है कि हे देशवासियों ! आपसी फूट से दुश्मन सदा मजबूत होता है। हमारे देश पर जब जब विदेशी ताकतें हावी हुई है तब तब हम हिन्दुस्तानियों के सहयोग से ही हाबी हुई है। वर्तमान विदेशी ताकत भी उपरोक्त सिद्धान्तों का वखूबी पालन करते हुए हमें गुलामी की दासता रूपी जंजीरों से जकड़ रखे हैं। उनकी यह नीति 'फूट डालो और राज करो' की सफल मत होने दो और राष्ट्र-निर्माण में मिलजुलकर हिस्सा लो, और इन फिरंगियों को देश से बाहर करने में सहयोग दो। प्रबल, प्लावन में 'प' की आवृत्ति से अनुप्रास की झलक स्पष्ट है। यमुना को देखकर कवि निराला के मन में यमुना से संबंधित समस्त अतीत जागृत हो उठता है, वह अनेक प्रकार की कथाओं का सार लेकर इस कविता की सृष्टि करते हैं कवि अपने सखि! यमुना को संबोधित करते हुए कहता है कि: "अलि अलकों के तरल तिमिर में; किसकी लोल लहर अज्ञात | 2 कवि के उपर्युक्त काव्य में रहस्यवाद की मार्मिक व्यंजना की गयी है कवि काव्य में कल्पनाओं की उड़ान भरता है। यहाॅ कवि की रहस्यवादी जिज्ञासा देखते ही बनती है। 'अ' और 'ल' की आवृत्ति बार-बार होने से अनुप्रास दृष्टव्य है । 1. महाराज शिवाजी का पत्रः निराला रचनावली (1) पृष्ठ-157 2. यमुना के प्रति निराला रचनावली भाग ( 1 ) : पृष्ठ -118 104
SR No.010401
Book TitleLonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPraveshkumar Sinh
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy