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मारूत सन्देश:-' किसी एक अज्ञातनामा कवि द्वारा रचित इस दूतकाव्य मे मारूत द्वारा सन्देश सम्प्रेषण सम्पन्न करवाया गया है। काव्य प्रकाशित नहीं हो पाया है। ___ मित्रदूतम्:-' दूत काव्य परम्परा के सबसे आधुनिक दूत काव्य के रूप मे यह मित्र दूतम् दूतकाव्य प्राप्त होता है। इस नवीन दूतकाव्य के रचनाकार रॉची विश्वविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेशचन्द्र पाण्डेय
मेघदूत से ही प्रेरणा लेकर इस नवीन दूतकाव्य की रचना हुई है। राँची विश्वविद्यालय का एक छात्र अपनी एक सहपाठिनी चारूदेवी से प्रेम करने लगता है और वह धीरे-धीरे अध्ययन से वह विमुख हो जाता है। इस कारण उसे विश्वविद्यालय से बहिष्कृत कर दिया गया। वह छात्र निष्कासित हो जाने पर छात्रावास के निकट ही एक मन्दिर में रहने लगता है। वह अपनी प्रेमिका के वियोग में अपने दिल को बहलाने के लिए उसी स्थान पर जाकर भटकता रहता है, जहाँ कभी दोनो एक साथ भ्रमण करते थे। एक दिन वही कल्पनालोक में विचरण करते-करते अपनी प्रेयसी के ध्यान मग्न था तभी अचानक ध्यान टूटने पर अपने सामने एक मित्र को देखता है। उसी से अपनी प्रिया के पास सन्देश भेजता है। मार्ग का वर्णन भी आधुनिक है। सन्देश अतिशीघ्र पहुँचाने के लिए अपने मित्र को वाययान से जाने को कहता है। क्योंकि उसकी प्रिया परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात राँची से कश्मीर चली गयी है। अतः राँची से कश्मीर तक का यात्रा वर्णन है।
काव्य में ९७ श्लोक हैं। नवीन शब्दों का प्रयोग हैं। व्याकरणात्मक त्रुटियाँ भी नहीं मिलती हैं। नैतिक तथा अध्यात्मिक उपदेश भी काव्य में
संस्कृत के सन्दश काव्य रामकुमार। आचार्य परिशिष्ट २ अप्रकाशित संस्कृत के सन्देश काव्य रामकुमार। आचार्य परिशिष्ट २ अप्रकाशित