________________
भक्ति रस पर आधारित है। इस प्रकार मनोदूतम् पर भक्ति रस आधारित एक सफल दूतकाव्य है।'
मनोदूतम्:- किसी अज्ञातनाम कवि द्वारा यह दूतकाव्य रचा गया है। समान्यतः इसमे दार्शनिक तत्त्व अधिक समाविष्ट हैं, क्योकि काव्य मे आत्मा और जीव का सम्बन्ध दिखलाया है।
__ मनोदूतम्:-' यह दूतकाव्य भट्ट हरिहर के हृदयदूतम् के साथ प्रकाशित हो चुका है। इस काव्य की रचना इन्दिरेश ने की है।
मनोदूतम्:-* विक्रम संवत १९६३ में श्री भगवद्दत्त नामक कवि ने मात्र १६-१७ वर्ष की लघुतर अवस्था मे ही इस दूतकाव्य की रचना की है। इसमें ११४ श्लोक है। यह काव्य कवि की कवित्वशक्ति व विस्मयकारक मेधा का स्पष्ट परिचायक है।
__ मयूखदूतम्:-* इस दूतकाव्य के रचयिता मारवाड़ी कालेज रॉची के संस्कृत के विभागाध्यक्ष प्रो. रामाशीष पाण्डेय है। यह कृति भी दूतकाव्य परम्परा की अत्याधुनिक कृति है। काव्य में १११ मन्दाक्रान्ता श्लोक है। इस दूतकाव्य में पटना के एक अनुसन्धाता छात्र ने इग्लैड में अपनी प्रेयसी के पास मयूख (रवि किरण) को दूत के रूप मे प्रेषित किया है। इस दूतकाव्य मे पटना से इग्लैड तक के महत्त्वपूर्ण स्थलों का भी वर्णन हुआ है।
बंगीय साहित्य परिषद् कलकत्ता द्वारा सन् १९३७ में प्रकाशित तथा "हृदयदूत" के साथ प्रकाशित, प्रकाशन चुन्नी लाल बुकसेलर, बड़ामन्दिर, भूलेश्वर, बम्बई रधुनाथ मन्दिर पुस्तकालय, कश्मीर के लिखित ग्रन्थों की सूची पत्र पृ. १६० और २८६ अप्रकाशित। चुन्नी लाल बुकसेलर, बड़ा मन्दिर, भूलेश्वर, बम्बई से प्रकाशित जैनसिद्धान्त भास्कर (१९३६ ई.) भाग ३ किरण पृ. ३६। अप्रकाशित श्याम प्रकाशन नालन्दा (बिहार) से ई. १९७४ में प्रकाशित।