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भ्रमर सन्देश:-' दक्षिण भारत मद्रास के कवि श्री महालिङ्ग शास्त्री द्वारा यह दूतकाव्य रचिात है। काव्य की कथा इन्द्रदेव से सम्बन्धित है। काव्य मे देवराज इन्द्र द्वारा भ्रमर को दूत बनाकर इन्द्राणी के पास अपना विरह सन्देश भेजा गया है।
भुंग सन्देश:- श्री गंगानन्द कवि द्वारा प्रणीत अपने नाम का यह तीसरा दूतकाव्य है। यह काव्य १५वी शती के पूर्वाद्ध में रचा गया है। काव्य अप्रकाशित है। इसके सम्बन्ध मे अन्य कोई सूचना नही है।
मधुकरदूतम्:-' यह दूतकाव्य स्वतन्त्र कथा पर आधारित है। यह दूतकाव्य श्री राज गोपाल द्वारा प्रणीत है। कवि सेण्ट्रल कालेज बंगलौर में सन् १९२२ से १९३४ तक संस्कृत विभागाध्यक्ष थे।
मधुरोष्ठसन्देश:-* इस दूतकाव्य का हस्तलिखित ग्रन्थ सूची में मात्र उल्लेख है। पर इसके शीर्षक से स्पष्ट होता है कि इसमे नायक-नायिका के प्रति दूत सम्प्रेषण का माध्यम कोई सुन्दर मधुरोष्ठ रहा है।
मनोदूतम्:- यह दूतकाव्य श्री राम शर्मा द्वारा रचित है। सम्पूर्ण काव्य शिखरिणी छन्द मे निबद्ध है। यह दूतकाव्य सन्देश पाने वाले एवम् भेजने वाले की उक्ति प्रोक्ति, रूप में प्राप्त होता है। विषय विभाग हेतु परिच्छेद शब्द का प्रयोग मिलता है। काव्य शार्दूलविक्रीडित छन्द में प्राप्त है। काव्य की रचना भागवत तथा पुराण की कथा पर आधारित है। इस प्रकार मनोदूतम् पर
त्रिवेन्द्रम संस्कृत सीरिज से सं. १२८ के रूप में संवत् १९३७ में प्रकाशित संस्कृत के सन्देश काव्य-रामकुमार आचार्य परिशिष्ट २, अप्रकाशित संस्कृत के सन्देशकाव्य, रामकुमार आचार्य परिशिष्ट २ अप्रकाशित ओरियण्टल लाइब्रेरी, मैसूर का संस्कृत हस्तलिखित ग्रन्थों का सूचीपत्र ग्रन्थ सं. २५१ पर द्रष्टव्य अप्रकाशित