________________
इस प्रकार है कि एक कामपीड़ित नायक अपनी नायिका के पास अपना विरह सन्देश कोकिल के माध्यम से भेजता है। इस प्रकार इसमें सन्देश सम्प्रेषण का कार्य एक कोकिल के माध्यम से करवाया गया है।
31
-
कोकिलसन्देश :- इस दूत काव्य के पूर्व इसी नाम के तीन और दूतकाव्य मिले है। इस दूतकाव्य के काव्यकार श्री वेकटाचार्य जी है। इसमे भी एक नायक अपनी विरहिणी नायिका के पास अपना सन्देश एक कोकिल के माध्यम से भेजता है।
कोकिल सन्देश :-' इस दूतकाव्य के रचनाकार वेदान्तदेशिक के पुत्र श्री वरदाचार्य जी हैं। यह दूतकाव्य, इस काव्य परम्परा में अपने नाम के ही अन्य काव्यों में पञ्चम है। इसमें भी कोकिल के माध्यम से एक विरही अपनी विरहिणी के पास अपना विरह सन्देश भेजता है । इस दूतकाव्य का उल्लेख मैसूर की गुरू परम्परा में मिलता है।
२
कोकिलसन्देश :- श्री गुणवर्धन द्वारा प्रणीत यह दूतकाव्य इस परम्परा का षष्ठम् दूतकाव्य है। इसमे भी सन्देश का सम्प्रेषण कार्य कोयल द्वारा करवाया गया है।
१
३
कृष्णदूतम् :- इस दूतकाव्य के रचनाकार श्री नृसिंह कवि जी है। काव्य में कृष्ण को दूत के रूप में चित्रित किया गया है। इस दूतकाव्य का मात्र उल्लेख मिलता है अभी काव्य प्रकाशित नहीं हो पाया है।
डब्लू एफ. गुणवर्धन न्यूयार्क द्वारा सम्पादित।
सीलोन ऐण्टिक्वेरी, भाग ४ पृ. १११ पर द्रष्टव्य, अप्रकाशित
अड्यार पुस्तकालय की हस्तलिखित संस्कृत ग्रन्थों की सूची के भाग २ संख्या
४ पर द्रष्टव्य।