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________________ 102 श्री कृष्ण की सत्यभामादि पत्नियों का चरित्राङ्कन श्रीकृष्ण की सत्यभामादि पत्नियाँ विदुषी हैं। वे अत्याधिक सुन्दर हैं। वे अपने नेत्रो से काम को परास्त करने में सक्षम हैं। सत्यभामादि पतिव्रता नारियॉ है, वे पति का इशारा पाते ही सब मिलकर श्री नेमि को समझाने मे संलग्न हो जाती हैं। काव्य में इनका श्री नेमि के साथ जलक्रीड़ा का वर्णन रमणीय ढ़ंग से उल्लेखित है। सर्वप्रथम उस श्री कृष्ण पत्नी का उल्लेख मिला है जिसनें फूलो एवं नये-नये लाल पत्तो से गुँथी जिस पर भौरों का समूह मॅडरा रहा हो, ऐसी माला को श्री नेमि को पहना दिया है। एक दूसरी कृष्ण पत्नी का उल्लेख मिलता हैं, जो नर्म पण्डिता है। वे चन्दन रस के नये-नये लवों से श्री नेमि के सुन्दर शरीर पर विन्दु विन्यास पूर्वक पत्रवल्ली की रचना करती है। फिर उनके सिर पर फूलों के मुकूट को रखकर दिन मे ही चन्द्र एवं ताराओ से युक्त आकाश को दिखलाने लगी। एक अन्य श्री कृष्ण पत्नी हैं, जिन्हें बन्धन मोक्ष, आत्मा-परमात्मा के विषय मे भी ज्ञान है वे श्री नेमि से प्रश्न करती है कि हे लोकोत्तर । तुम मूर्तिमान रागपाश से बँधे होने पर मोक्ष को कैसे प्राप्त करोगे? इस प्रकार के प्रश्न के बहाने श्री नेमि के कटिप्रदेश को उसी प्रकार बाँध देती हैं जैसे प्रकृति आत्मा को बाँध लेती है। किसी अन्य पत्नी ने चन्दन रस से भिगोये हुए तथा पक्तियों में रखे हुए सरस फूलों से श्री नेमि नाथ के वक्षस्थलों को ढक दिया। यदुपति श्री कृष्ण की पत्नियाँ श्वेत तथा कोमल साड़ियों को पहनने के कारण प्रशंसनीय हैं। वे अपने कटाक्षों से सारे जगत को परास्त कर देती है।
SR No.010397
Book TitleJain Meghdutam ka Samikshatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSima Dwivedi
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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