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Kalaya Pahuda Sut [14 Charitramoh - Upashamanadhikara]
684. The final infinite-years-duration bondage of the deluding karmas (mohaniya) of the upashamaka (one who has attained partial subsidence of passions) is infinite-fold.
685. The first infinite-years-duration bondage of the deluding karmas (mohaniya) of the pratipamana (one who is falling back) is infinite-fold.
686. The final infinite-years-duration bondage of the destructive (ghatiya) karmas of the upashamaka is infinite-fold.
687. The first infinite-years-duration bondage of the destructive (ghatiya) karmas of the pratipamana is infinite-fold.
688. The final infinite-years-duration bondage of the name, gotra and vedaniya (feeling) karmas of the upashamaka is infinite-fold.
689. The first infinite-years-duration bondage of the name, gotra and vedaniya karmas of the pratipamana is infinite-fold.
690. The first two-fold bondage of the name and gotra karmas of the upashamaka is of the measure of the innumerable parts of the palyopama (the smallest unit of time).
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कलाय पाहुड सुत [ १४ चारित्रमोह - उपशामनाधिकार
६८४, उवसामगस्स चरिमो असंखेज्जवस्सट्ठिदिगो बंधो मोहणीयस्स असंखेज्जगुणो । ६८५. पडिवमाणगस्स पढमो असंखेज्जवस्सडिदिगो बंधो मोहणीयस्स असंखेज्जगुणो । ६८६. उवसामगस्स घादिकम्माणं चरिमो असंखेज्जवस्सट्ठि दिगो बंधो असंखेज्जगुणो । ६८७. पडिवमाणयस्स पढमो असंखेज्जवस्सट्ठिदिगो बंधो घादिकम्माणमसंखेज्जगुणो । ६८८. उवसामगस्स णामा - गोद-वेदणीयाणं चरिमो असंखेज्जवस्सट्टि - दिगो बंधो असंखेज्जगुणो । ६८९. पडिवदमाणगस्स णामा - गोद-वेदणीयाणं परमो असंखेज्जवस्स द्विदिगो बंधो असंखेज्जगुणो । ६९०. उवसामगस्त णामा-गोदाणं पलिदोवमस्स संखेज्जदिभागिओ पढमो द्विदिबंधो असंखेज्जगुणो ।
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६९१. णाणावरण- दंसणावरण-वेदणीय-अंतराज्ञ्याणं पलिदोवमस्त संखेज्जदिभागगो पढमोडिदिबंधो विसेसाहिओ । ६९२. मोहणीयस्स पलिदोवमस्स संखेज्जदि - भागिगो पढमो द्विविधो विसेसाहिओ । ६९३. चरिमडिदिखंडयं संखेज्जगुणं । ६९४. जाओ द्विदीओ परिहाइण पलिदोवमट्ठिदिगो बंधो जादो, ताओ द्विदीओ संखेज्जगुणाओ । ६९५ पलिदोवमं संखेज्जगुणं । ६९६. अणियट्टिस्स पढमसमये ठिदिबंधो संखेज्जगुणो । ६९७. पडिवदमाणयस्स अणियट्टिस्स चरिमसमये द्विदिबंधो संखेज्जगुणो ।
चूर्णिसू० –उपशामकके असंख्यात वर्षकी स्थितिवाला मोहनीयका अन्तिम स्थितिवन्ध असंख्यातगुणा है ( ७८ ) । गिरनेवालेके असंख्यात वर्षकी स्थितिवाला मोहनीयका प्रथम स्थितिबन्ध असंख्यातगुणा है (७९) । उपशामकके असंख्यात वर्षकी स्थितिवाला घातिया कर्मो का अन्तिम स्थितिबन्ध असंख्यातगुणा है (८०) । गिरनेवालेके असंख्यात वर्षकी स्थितिवाला घातिया कर्मो का प्रथम स्थितिबन्ध असंख्यातगुणा है (८१) उपशामक - के नाम, गोत्र और वेदनीयका असंख्यातवर्षकी स्थितिवाला अन्तिम स्थितिबन्ध असंख्यात - गुणा है (८२) । गिरनेवालेके नाम, गोत्र और वेदनीय कर्मका असंख्यात की स्थितिवाला प्रथम स्थितिवन्ध असंख्यातगुणा है (८३) । उपशामक के नाम और गोत्रकर्मका पल्योपमके संख्यातवे भागप्रमाण प्रथम स्थितिबन्ध असंख्यातगुणा है (८४) ।।६८४-६९०॥
चूर्णिसू० [0 - ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय और अन्तरायका पल्योपमका संख्यातवें भागप्रमाण प्रथम स्थितिबन्ध विशेष अधिक है (८५) । मोहनीयका पल्योपम के संख्या - तवे भागप्रमाण प्रथम स्थितिबन्ध विशेष अधिक है ( ८६ ) । सूक्ष्मसाम्परायिकके अन्तिम समयमे होनेवाला ज्ञानावरणादि कर्मों का चरम स्थितिकांडक और मोहनीयका अन्तरकरणके समकालभावी चरम स्थितिकांडक संख्यातगुणा है ( ८७ ) । - जिन स्थितियोको कम करके पल्योपमकी स्थितिवाला बन्ध हुआ है, वे स्थितियाँ संख्यातगुणी है ( ८८ ) । पल्योपम संख्यातगुणा है (८९) । अनिवृत्तिकरणके प्रथम समयमे स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है (९०) । गिरनेवालेके अनिवृत्तिकरणके अन्तिम समय में स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है ( ९१ ) । अपूर्व -