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118 Kasaya Pahuu Susa
[3. The duration of the state of the three genders (male, female, neuter) is less than the duration of the state of the first three Kasayas (attachment, aversion, delusion) by one Paliopama less than the Asankhejadima (innumerable and incalculable) duration. 192. Is the duration of the state of right faith and wrong faith higher or lower? 193. Definitely lower. 194. The lower duration is from the higher duration by deducting one Antarmuhurta and so on up to one state. 195. Except the last Udvelnakandaka and the last Phali (layer). 196. Is the duration of the state of the sixteen Kasayas higher or lower? 197. Either higher or lower. 198. The lower duration is from the higher duration by deducting one Samayoga and so on up to one Avali. 199. Is the duration of the state of the female and male sex-passions higher or lower? 200. Definitely lower. 201. The lower duration is from the higher duration by deducting one Antarmuhurta and so on up to Antakodakodi. 202. Is the duration of the state of laughter and delight higher or lower? 203. Either higher or lower.]
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११८ कसाय पाहुउ सुस
[३ स्थितिविभक्ति समऊणमादि कादण जाव पलिदोवमस्स असंखेजदिमागेण ऊणा त्ति । १९२. सम्मत्तसम्मामिच्छत्ताणं च हिदिविहत्ती किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? १९३. णियमा अणुक्कस्सा । १९४. उक्कस्सादो अणुकस्सा अंतोमुहत्तणमादि कादूण जार एगा हिदि त्ति । १९५. णवरि चरिमुव्वेलणकंडयचरिमफालीए ऊणा । १९६. सोलसकसायाणं द्विदि विहत्ती किमुक्कस्सा अणुक्कस्सा ? १९७. उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा वा । १९८. उक्कस्सादो अणुक्कस्सा समऊणयादि कादूण जाव आवलिऊणा त्ति । १९९. इत्थि-पुरिसवेदाणं हिदिविहत्ती किमुक्कस्सा, अणुक्कस्सा ? २००. णियमा अणुक्कस्सा । २०१. उक्करसादो अणुक्कस्सा अंतोमुहूत्तणमादि कादण जाव अंतोकोडाकोडि त्ति । २०२. हस्स-रदीणं हिदिविहत्ती किमुक्कस्सा, अणुक्कस्सा ? २०३. उक्कस्सा वा अणुक्कस्सा मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिका वन्ध हो तो उत्कृष्ट होती है, अन्यथा अनुत्कृष्ट होती है। वह अनुत्कृष्ट स्थिति उत्कृष्ट स्थितिमेसे एक समय कमको आदि करके पल्योपमके असंख्यातवे भागसे कम तकके प्रमाणवाली होती है ॥ १८९-१९१ ॥
चूर्णिसू०-नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति करनेवाले जीवके सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व, इन दोनों प्रकृतियोकी स्थितिविभक्ति क्या उत्कृष्ट होती है, अथवा अनुत्कृष्ट होती है ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है । इसका कारण यह है कि नपुसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति मिथ्यादृष्टि जीवमे होती है और सम्यक्त्व तथा सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति प्रथमसमयवर्ती वेदकसम्यग्दृष्टि जीवके होती है। वह अनुत्कृष्ट स्थिति उत्कृष्ट स्थितिमेसे एक अन्तुर्मुहूर्त कमसे लगाकर एक स्थिति तकके प्रमाणवाली होती है । किन्तु वह चरम उद्वेलनाकांडककी चरम फालीसे हीन होती है ॥ १९२-१९५ ॥
___ चूर्णिसू-नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति करनेवाले जीवके अनन्तानुवन्धी आदि सोलह कपायोकी स्थितिविभक्ति क्या उत्कृष्ट होती है, अथवा अनुत्कृष्ट होती है ? उत्कृष्ट भी होती है और अनुत्कृष्ट भी होती है । इसका कारण यह है कि यदि नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्तिके समय विवक्षित कपायोंका उत्कृष्ट स्थितिवन्ध हो तो उत्कृष्ट होती है, अन्यथा अनुत्कृष्ट होती है । वह अनुत्कृष्ट स्थिति उत्कृष्ट स्थितिमेसे एक समय कमसे लगाकर एक आवली कम तकके प्रमाणवाली होती है । एक आवलीसे अधिक कम न होनेका कारण यह है कि इससे ऊपर नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिका होना असम्भव है ॥ १९६-१९८॥
चूर्णिसू०-नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति करनेवाले जीवके स्त्रीवेद और पुरुपवेद, इन दोनोकी स्थितिविभक्ति क्या उत्कृष्ट होती है, अथवा अनुत्कृष्ट होती है ? नियमसे अनुत्कृष्ट होती है । क्योकि, नपुंसकवेदके बन्धकालमे नियमसे स्त्रीवेद और पुरुपवेदका वन्ध नहीं होता है । वह अनुत्कृष्ट स्थिति उत्कृष्ट स्थितिमेसे एक अन्तर्मुहर्त कमसे लगाकर अन्नाकोडाकोडी सागरोपम तकक प्रमाणवाली होती है ॥१९९-२०१॥
चूर्णिमू०-नपुंसकवेदकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति करनेवाले जीवके हास्य और रति, इन