________________
. ( ४७ )
सतीश
तब ये लोग भी खूब रोएँगे ।
| गन्ने का रस बेचनेवाला आता है। सारे मुहल्ले के लड़के धीरेधीरे उसके पास जुट आते हैं। इसी समय घर से राकेश बाहर श्राता है ।
राकेश
-
रोगो का बड़ा पुत्र है । अवस्था बारह-तेरह वर्ष । रंग साँवला, मुख पर दोनता की छाप से युक्त भोलापन जो देखनेवाले के हृदय में स्नेह नहीं, दया उमड़ाता है। छोटे-छोटे रूखे बाल जो काफी दिनों से कटे नहीं जान पड़ते हैं। शरीर दुबला-पतला है, जिसने समय से पहले हो काफी कष्ट सह लिये है । खाको नेकर के ऊपर आधी बाँह की कमीज पहने है जो न बहुत उजली है और न मैली ; जिसकी सिकुड़नों से पता चलता है कि वह घर पर हो धोई गई है ।
राकेश की दृष्टि गन्न वाले पर पड़ती है; फिर वह भाई-बहन की तरफ देखता है । क्षण भर सोचता रह जाता है । पश्चात, तखत पर यहाँ बैठो । शीला और सतीश दोनों
1
बैठ कर कहता है - श्राश्रो,
I
उसके पास जाकर बैठ जाते हैं।
तीनों कुछ समय तक चुप रहते हैं ।]
राकेश
बाहर की कोई चीज नहीं खानी चाहिये; उस पर मक्खियाँ भिनभिनाती हैं । खानेवाले बीमार हो जाते हैं ।