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पूर्वकथा देव-दानव-युद्ध में स्वपक्ष की हार देख सुरेश ने पराजय का दोष श्राचार्य वृहस्पति के माथे मढ़ा और भरी सभा में उनका अपमान किया । वृद्ध श्राचार्य इस पर कुपित हो पद त्याग सभा-भवन से चले गए। परन्तु, दूसरे ही क्षण, स्थिति की भयङ्करता ने उन्हें देव-रक्षा और कल्याण के लिए कोई उपाय सोचने को विवश किया। उसी समय का दृश्य है।