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________________ ( ११७ ) जानने की इच्छा हो आयो है। अतएव इन प्रश्नों का उत्तर दे दो जिससे मैं संतुष्ट हो जाऊँ। । पहला __ हमारे कार्य से आप अब तक संतुष्ट रहे हैं और हम आप को विरवाल दिलाते हैं कि भविष्य में भी हम वही करेंगे जिसस आप को पूर्ण सताष हो। • ईसा मैं आश्वस्त हुआ। इतना और ध्यान रखना कि प्रत्येक व्यक्ति हमारे प्रेम का पात्र है । कर सकोगे सबसे प्रेम ? दूसरा अन्यायी से, अधर्मी से, अत्याचारी से भी क्या ? . ईसा इनसे ही नहीं, इनसे बढ़कर जो पापी हो उससे भी प्रेम करो, तभी मुझे संतोष होगा । बोलो, हो तैयार ? दूसरा तैयार हैं। ईसा मैं परीक्षा लूँगा! दूसरा किसी भी कसौटी पर कसिये ; आप के शिष्य खरे उतरेंगे ! (तीसरे शिष्य का शीघ्रता से प्रवेश । सब उसकी अोर साश्चर्य देखते हैं।)
SR No.010395
Book TitleKarmpath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremnarayan Tandan
PublisherVidyamandir Ranikatra Lakhnou
Publication Year1950
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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