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( ६६ ) से, ३' देखने से, ४ प्रकृति बिगड़ने से, ५ स्वभाविक, ६ चिन्ता से, ७ देवता के उपदेश से, ८ धर्म पुण्य के प्रभाव से पाप उदय से इन नव कारणों से स्वप्न दीखते हैं जिनमें से प्रथम के छ कारणों से यदि स्वप्न दीखे तो उसे निष्फल समझना चाहिये और वाकी के तीन कारणों से दीख और वो उत्तम हों तो उत्तम फल देते हैं और यदि बुरे हो तो बुरा फल देते हैं.
यदि रात्री के पहिले प्रहर अर्थात् सूर्यास्त से ३ घंटे बाद तक स्वप्न आवे तो उसका फल १२ मास पीछे मिले, दूसरे प्रहर में यदि आवे तो ६ मास पर्यन्त तीसरे प्रहर में आवे तो ३ मास और चौथे प्रहर में आवे तो एक मास पीछे और यदि सूर्योदय से २ घड़ी पहिले आवे तो १० दिन मे और सूर्योदय के समय ही आवे तो शीघ्र ही फल मिलता है. ___ यदि एक रात्रि में लगातार बहुन से स्त्रम देखे तो निष्फल जाते हैं अथवा रोगादि कारण से अथवा मूत्रादि रोकने से जो स्वप्न दीखे वो भी कुछ फल नहीं देते. ___ धर्म में रक्त, निरोगी स्थिर चित्त, जितेन्द्रिय और दयावान पुरुष स्वप्न द्वारा इच्छिन, वस्तु प्राप्त कर सका है.
यदि कुस्वप्न देखने में आवे तो किसी को कहना नहीं परन्तु उत्तम स्वप्न योग्य पुरुष को अवश्य कहना और यदि योग्य पुरुष न मिले तो गाय के कान में कहना. ___ उत्तम ( अच्छा ) स्वप्न देखकर फिर निद्रा नहीं लेना चाहिये कारण यदि फिर कोई कुस्वप्न देखने में आवे तो वो उत्तम स्वप्न व्यर्थ जाता है इसलिये 'उत्तम स्वप्न देखने पश्चात रात्री बहुत होवे तो धर्म कथा इत्यादि शुभ कार्य कर रात्री व्यतीत करना चाहिये. ___ कुस्वप्न देखकर यदि सोजावे अर्थात् निद्रा ले लेवे थोड़े से समय के लिये और किसी को भी न कहै तो वो व्यर्थ होजावे अर्थात् उसका बुरा फल न मिले. ___ कुस्वप्न के पश्चात् यदि फिर उत्तम स्वप्न देखने में आये तो उत्तम का फल मिले कुस्वप्न व्यर्थ जावे इसी प्रकार उत्तम के पश्चात् बुरा देखे तो बुरे का फल मिल उत्तम व्यर्थ जावे.