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प्रमैयद्योतका टीका प्र.३ उ.३ १.५१ द्वीपसमुद्रनिरूपणम् तयाऽभिमुखं रूपं यस्याः सा अतिरूपा अत्यन्त कमनीयेत्यर्थः । अतएव 'एडिरूवा' पतिरूपा, प्रति विशिष्टमसाधारणं रूपं यस्याः सा प्रतिरूपा अथवा प्रतिक्षणं नवं नवमिव रूपं यस्याः सा प्रतिरूपा, ॥ ___ 'साणं जगती' सा अनन्तरोक्ता खल्ल जगती 'एक्केणं जालकडएणं' एकेन जालकटकेन, जालगनि-जालकानि यानि भवनमित्तिषु लोकेऽपि प्रसिद्धानि तेषां कटकः समूहो जालकटको जालाकीर्णरम्यसंस्थान-प्रदेश विशेष पंक्तिरि. . त्यर्थः तेन जालकटकेन 'सव्वओं' सर्वतः सर्वासु दिक्षु 'समंता' समन्तात्-सामस्त्येन 'संपरिक्खित्ता' संपरिक्षिप्ता- सम्यग्देष्टितेति । सम्पति जाल कटकस्य प्रमाणमाह-'से ' इत्यादि से णं जाल कडए स खलु जालकटकः 'अद्ध जोय. रहता है अतः समीया , बहिःस्थित वस्तुओं की प्रकाशिका होने से यह सोचोता है मनकी प्रसन्नता करानेवाली होने के कारण प्रासादीया है । इसे देखतेर न मन थकता है। और न नेत्र ही थकते है-अ यह दर्शनीया है। देखनेवालों को इसका रूप बहुत ही अधिक कमनीय लगता है इसलिये यह अभिरूपा है । तथा इसका रूप जैसा रूप और कहीं नहीं हैं इसलिये अथवा क्षण में इलका रूप नया जैसा ही देखने वालों को प्रतीत होता है इसलिये यह प्रनिरूपा है 'लाणं जगली एक्केणं जालकडएणं सव्वती ससंता संपरिक्खित्ता' यह जगती एक जाल कटक से भवन को भित्तियों में बनाये गये रोशन्दानों (झरोखा) के जैसे रम्य संस्थान वाले प्रदेश विशेषों की पंक्तियों से समस्त दिशाओं की
ओर अच्छी तरह से घिरी हुई है। अब जाल कटक का प्रमाण कहते है। 'से ण जालफडएणं अद्धजोयणं उड़ उच्चत्तेणं पंचधणुसयाई विक्खं
એ સેદ્યતા છે મનની પ્રસન્નતા કરવવાવાળી હોવાથી પ્રાસાદીયા છે, તેને જોતા જોતા મન ક્યારેય થાકતું નથી તેમજ આખે પણ થાકતી નથી તેથી તે દર્શનીયા છે. જેવાવાળાને તેનું રૂપ ઘણુંજ સુંદર લાગે છે તેથી તે અભિરૂપા છે. તથા તેના રૂપ જેવું રૂપ બીજે કયાંય નથી, તેથી અથવા ક્ષણ ક્ષણમાં तेनु ३५ नवा रे नारायाने नाय छे. तथा प्रती३५। छे. 'सा णं जगती एक्केणं जालकड़एण सव्वओ समता सपरिक्खित्ता' मा गती ये જાલ કટકથી ભવનની ભી તેમાં બનાવવામાં આવેલ રોશન્દાનના જેવી રમણીય સંસ્થાન વાળા પ્રદેશ વિશેની પક્તિથી બધી દિશાથી સારી રીતે ઘેરાયેલી છે.
वे टनु प्रभा मतutti सूत्रा२ ४३ से गं जालकडएणं अद्धजोयणं उड़ढ उच्चत्तणं पंच धणुसयाई विक्खभेणं सव्व रयणामए अच्छे सण्हे लण्हे, जाव पडिरूवे' म स ससमूड सेसनी या वाणा છે, અને ૫૦૦ પાંચ ધનુષના વિસ્તાર વાળે છે-પહોળાઈ વાળે છે, આ