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जीवामिगमस्टे ७५९ देवीशतं प्रज्ञप्तम्, 'बाहिरियाए परिसाए पप्णवीसं देविस्यं पारतं' वाह्यायां जाताभिधानायं पर्षदि पञ्चविंशत-पञ्चविंशत्यधिक देवी शतं प्रज्ञतम् इति पर्व । द्विषयफ मुत्तरमिति । सम्पति-धरण पर स्थित देव देवीनां स्थिति दर्शयितमाह'धरणस्स णं' इत्यादि, 'धरणस्स णं ग्नो' हे पदन्त ! धरणस्य नागकुमारेन्द्रस्य नागकुमारराजस्य 'यभितरियाए परिसार' आभ्यन्तरिकायां समिताभिधानार्या पर्षदि 'देवाणं केवइयं कालं ठिई पत्ता' देवानां किया कालं स्थिति:-आयुष्यकाळा-प्रज्ञप्ता, तथा-'मज्झिमियाए परिसाए' माध्यमिकायां पर्पदि 'देवाणं कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता तथा 'वाधिरियाएपरिसाए' जाताभिधानायां पर्पदि 'देवाणं केवइयं कालं ठिई पानत्ता' देवानां कियातं कालं स्थिति प्रज्ञप्ता-कथिता तथा-'अभितरियाए परिसाए' आभ्यन्तरिका समितायां पर्पदि 'देवीणं केवश्यं फाल ठिई पन्नता देवीनां मियन्तं कालं स्थिति: जप्ता, तथा 'वाहिरियार १५० देवियाँ है । बाय परिषदा में १२५ देवियां है। अव धरणेन्द्रकी परिषत के देव देविघों की स्थिति कहते हैं-'धरणस्स णं रनो' इत्यादि 'धरणस्सणं रनो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालंठिती पण्णसा' नागकुमारेन्द्र नागकुमारराजधरण की आभ्यन्तर परिषदा के देवों की कितने काल की स्थिति कही गई है। 'मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता' मध्यमा सभा के देशों की कितने काल की स्थिति कही गई है। 'वाहिरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिनी पण्णत्ता' और बाह्या परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है। इसी प्रकार से नागकुमारेन्द्र नागकुमारराजघरण की એકસો પંચોતેર દેવિ છે. મધ્યમ પરિષદામાં ૧૫૦ દેસો દેવિ છે. બાહ્ય પરિષદામાં ૧૨૫ સવાસે દેવિ છે.
હવે ધરણેન્દ્રની પરિષદના દેવ દેવિયોની સ્થિતિ કહેવામાં આવે છે. 'धरणस्स णं रन्नो' त्यादि
'धरणस्स गं रन्नो अभितरियाए परिवाए देवाण' केवतियं काल ठिई Torar” હે ભગવદ્ નાગકુમારેન્દ્ર નાગકુમાર રાજ ધરણની આભ્યન્તર પરિષદાના देवोनी स्थितिमा नी वामां मावस छ ? 'मन्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइय काल ठिई पण्णता' मध्यभा समानावानी स्थिति सानी B छे १ 'बाहिरियाए परिसाए देवाण केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' भन माह પરિષદા દેવાની સ્થિતિ કેટલા કાળની કહેવામાં આવેલ છે ? એજ પ્રમાણે नागभारेन्द्र नागभार २२४ घनी 'अभि तरियाए परिसाए देवीण केवइय काळे ठिई पण्णत्ता, मज्झमियाए परिसाए देवीण देवइयं काल ठिई पण्णत्ता