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प्रमेययोतिका ठीका प्र.३ उ. ३ . ४२ डिवडसर - कलहादि निरूपणम्
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ar' रत्नवर्ष इति वा, 'इवालाइ वा' वज्रवर्षः, कार्यविया, 'आमरणा साइ वा' आभरणम् - अलङ्कारस्तस्य नर्ष इति वा 'पचवासा वा' पत्राणां वर्ष इति वा, 'पुष्कवासाइवा' पुष्पवर्ष इति ना, 'फलवासा चा' फलदृष्टि 'बीयवासाइवा' बीजदर्प इति वा, 'मल्लवासाह ना' माल्यवर्ष इति वा 'गंधवासाइ वा' गंधवर्ष इति वा गन्धद्रव्यस्य दर्पणम् 'वण्णवासाइ वा' वर्णवर्ष इति वा, विलेपनवर्षणम् 'चुष्णदासाइवा' चूर्णवर्ष इति वा, गन्धद्रव्यचूर्णवर्षणम्, 'खीरखु ही वा' क्षीरवृष्टिरिति वा, क्षीरसदृशजलस्य वृष्टिरित्यर्थः, विशेषतो वर्षणं वृष्टि, 'रणबुडी वा' रत्नवृष्टिरिति वा, 'हिरण्णबुडी वा' हिरण्यवृष्टिरति वा, 'सुब
वुडी ' सुष्टिरिति वा, 'दहेब जाब चुण्णबुडीइ बा' तथैव यावद चूर्णष्टिरिति वा, अत्र यावत्पदेन सुवर्णदृष्टिः, रत्नवृष्टिः, वज्रदृष्टिः, आमरणहृष्टिः, तथा - पत्र पुष्प फलवीजमाल्यगन्धवर्णवृष्टिनां संग्रहो भवतीति । 'सुकालाइ वा ' वासावा' रत्नों की वर्षा होती है ? 'बहरवासावा' वज्र हीरों की वर्षा होती है 'आभरणवासाहवा' आभरणों की वर्षा होती है ? 'पुप्फवासा वा' पुष्षों की वर्षा होती है ? 'फलवासाह वा फरों की वर्षा होती है ? 'वीवासह वा' वीजों की वर्षा होती है ? 'मल्लवाखाइ वा ' मालाओं की वर्षा होती है ? 'गंधवाह वा गन्ध गन्धद्रव्य की वर्षा होता है ? 'वण्णवासाह वा' विलेपन-पिष्ट द्रव्य विशेष की वर्षा होती है ? 'चुण्णवासाह वा' मन्त्र द्रव्य के चूर्ण की वर्षा होती है ? 'खीरबुडीह वा' दूध की वृष्टि होती है ? 'हिरण्णचुडीह वा' हिरण्य-चांदी की दृष्टि होती है ? 'सुवण्णवुडीह वा' सुवर्ण की दृष्टि होती है । 'सहे जाव चुण्णबुडीह या' यावत् चूर्ण की वृष्टि होती । यहाँ यापद से रश्न वृष्टि आदिकों का ग्रहण हुआ है। वर्षा में सामान्य रूप से वृष्टि
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'वरवाखाइवा' व हीराना वरसाह थाय छे ? 'आभरणत्रासाइ वा' भालरथेन। व२साह थाय छे ? ‘पत्तवासाइवा' पानडायोनी वरसाह थाय छे 'पुप्फवाखाइवा' पुण्याना वरसाह थाय छे ? 'फलनाखाइवा' सोनो वरसाद थाय छे ? 'बीयवा साइवा' मीना परसाह थाय छे ? 'गल्डवाद्याइव ।' भासामाना वरसाह थाय
? 'गंधवाखाइ वो' अन्ध द्रव्याना वरसाह थाय हे ? 'वण्णवासाइवा' विसेचन पिष्ट द्रव्य (पीडी) विशेषना वरसाह थाय छे ? 'चुण्णवासाइवा' गन्धद्रव्यनाथूथुना १२साह थाय छे ? खीरबुट्टीइवा' दूधना वरसाई थाय छे ? 'रयणवुट्टीइवा' रत्नाना वरसाह थाय छे ? 'हिरण्णवुट्टीइ वा' हिरएय यांहीना १२साह थाय छे ? 'सुवण्णवुट्टीचा' सोनानो वरसाई थाय छे ? 'देव जाव चुण्णवुडीइवा' યાવત્ ચૂર્ણના ૧૩ દ થાય છે. સહિયાં રાવપદથી રત્નવૃષ્ટિ વિગેરે પડે