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जीवामिगमसूत्रे
टीका- ' से किं तं तिरिक्खजोनिया' अत्र 'से' शब्दोऽथार्थकः किंशब्दः प्रश्ने तथाच - अथ के ते तिर्यग्योनिकाः, तिर्यग्योनिकानां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः भगवानाह - 'तिरिक्खजोणिया पंचविद्या पन्नत्ता' तिर्यग्योनिकाः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा ' तद्यथा 'एगिदियतिरिक्खजोणिया' एकेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः । 'वेईदियतिरिक्खजोणिया' द्वीन्द्रियतिर्यग्योनिकाः । 'तेइंदियतिरिक्खजोगिया' त्रीन्द्रियतिर्यग्योनिकाः । 'चउरिदियतिरिक्खजोणिया' चतुरिन्द्रियतिर्यग्योनिकाः 'पंचिदियतिरिक्खजोणिया य' पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाच, तथाच - एकेन्द्रिय द्वीन्द्रिय जीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय पञ्चेन्द्रिय भेदात् तिर्यग्योनिकाः पञ्चप्रकारका भवन्तीति । एकेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः कियन्त इति ज्ञातुं मश्नय नाह'से किं तं' इत्यादि, 'से किं तं एर्गिदियतिरिक्खजोणिया' अथ के ते एकेन्द्रि नरकाधिकार कह कर अब सूत्रकार तिर्यगाधिकार का कथन करते हैं'से कितं तिरिक्खजोणिवा' - इत्यादि । सूत्र ||२४||
टीकार्थ - यहां 'से' यह शब्द 'अर्थ' 'अर्थ' में प्रयुक्त हुआ है इस तरह गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है है भान्त 'से किं तं तिरिक्खजे. निया' तिर्यग्योनिकों के कितने भेद हैं ? उत्तर में प्रभु ने कहा है- 'तिरिक्खजोणिया पंचचिहा पण्णत्ता' हे गौतम । तिर्यग्योनिकों के पांच भेद कहे गये हैं 'लं जहा' जैसे- 'एर्गिदियतिक्ख जोणिघा, वेइंदिय तिरिक्खजो - प्रिया' एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक दो इन्द्रिय तिर्यग्योनिक, 'तेइंदिय तिरिकख ०' तेहन्द्रिय तिर्यग्योनिक 'चरिदियतिरि०' चौइन्द्रिय तिर्यग्योनिक 'पंचिदियति०' और पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिक, 'से किं तं एगिंदियति०' हे ચેાથા ઉદ્દેશાના પ્રાર’ભ
નરાધિકાર કહીને હવે સૂત્રકાર આ તિર્યંચના અધિકારનું કથન કરે છે. 'से किं तं तिरिक्खजोणिया ' त्यादि
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टीटार्थ - मडियां 'से' शब्द 'अर्थ' अर्थभां अयुक्त थयेस छे मा रीते गौतमस्वासीशे अलुने मे पूछयु छे भगवन् 'सेकिं तं तिरिक्ख जोणिचा' तिर्थभ्योनिना टलाई लेहो उद्या हे ? या प्रश्नना उत्तरभां अलुश्री गौतमस्वाभीने ४ है 'तिरिक्खजोणिया, पंचविहा पण्णत्ता' हे गीतभ तिर्यथ योनिता यांय लेट ह्या छे. 'त' जहा' ते भा प्रभाथे छे. 'एगिं “दियतिरिक्खजोणिया, वेइंदियतिरिकखजोणिया' मेड द्रियवाजा तिर्यग्यो निः मने मे द्रियवाजा तिर्यग्योनिः 'तेइ दियतिरि.' त्रषु ४द्रियोवाजा तिर्यग्योनिः 'चउरिदियतिरि.' यार छद्रियेोवाणा तिर्यग्योनि 'पंचिंदिय ति०' અને પાંચ ઇંદ્વિચાવાળા તિય ચૈાનિક.