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जीवाभिगमसूत्रे
मनुष्यपुराणाम 'मण॒म्सणपुंमगाण य' मनुष्यनपुंसकानां च 'कयरे कयरेर्हितो' कतरे कतरेभ्य एम्णापेक्ष्या के इत्यर्थ अप्पा वा बहुया वा तुल्हा वा विसेसाहिया वा' अल्पा वा वहुका वा तुल्यावा विशेषाधिक देति प्रश्न. भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि 'गोयमा' हे गौतम! 'सव्वत्थोवा' सर्वस्तोकाः 'मरिया' मनुष्यपुरा मनुष्य विपुरुषन पुंसकेषु स्तोका भवन्तीति 'मणुस्सित्थीओ संखज्ज' गुणा' मनुष्यतयो मनुष्यपुरुषापेक्षया सख्येयगुणाधिका भवन्तीति । 'मणुस्सणपुंसगा असंखे जगुणा' मनुष्यत्र्यपेक्षया मनुष्यनपुंसका असंख्येयगुणाधिका भवन्ति श्रेण्यसख्येयभागगतप्रदेश आणि प्रमाणत्वादिति तृतीयमल्पबहुत्वम् ॥३॥
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अथ चतुर्थमन्पबहुत्वमाह - 'एएसि णं' इत्यादि, 'एएसि णं भंते' एतेषां खलु भदन्त 'देवित्रीण' देखी देवीनामित्यर्थ' 'देवपुरिसाणं' देवपुरुषाणां पुजातीयकदेवानाम् - णेरड़यणपुरगाण य' 'नैरयिकनपुंसकाना च ' कयरे कयरेहितो' कतरे कतरेभ्यः कस्यापेक्षया के 'अप्पा चा' जम्पा वा 'बहुया बा' बहुका वा 'तुल्ला वा' तुल्या वा 'विसेसाहिया कला गया है। तृतीय अल्प बहुव इस प्रकार से है - "एएसि णं भंते! मणुस्सित्थीणं मणुपुराणं मणुस्वणपुंसगाण य कयरेकयरेर्हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा" गौतम ने ऐसा पूछी है कि हे भदन्त ! इन मनुष्य स्त्रियों के मनुष्य पुरुषों के और मनुष्य नपुंसकों के बीच कौन किनसे अल्प है ? कौन किनसे बहुत है ? कौन है और कौन फिन से विशेषाधिक है ? उत्तर में प्रभु ने कहा है- 'गोयमा ? सव्वत्यांचा मपुरिया' हे गौतम ! सबसे कम मनुष्य - पुरुष है - 'मणुस्सित्थीओ संखेज्ज गुणा' मनुन स्त्रियाँ मनुष्य पुरुषों की अपेक्षा सख्यात गुणी अधिक हैं । ' मणुस्स पुंसगा गुणा' agree स्त्रिया की अपेक्षा मनुष्य नपुंसक असख्यात गुणे अधिक हैं - यह संमि मनुयों की अपेक्षा से कहा गया है। ऐसा यह तृतीय अल्प बहुत्व है । चजन्य इकार से 'एएसि णं भंते । देवित्थीणं देवपुरिसाणं, णेरइययतो आपा वा बहुया वातुल्ला वा विसेसालिया वा ? इसमें गौतम
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