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________________ ३७० जीवामिगमसूत्र पिता इति । 'से किं तं कम्ममिया' अथ कास्ताः कर्गभूमिकाः स्त्रियः कर्मभूमिकाः स्त्रीणां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः उत्तरयत्ति 'कम्मभूमिया पाणरसविहाओ पन्नत्ताओं' कर्म भूमिकाः स्त्रियः पञ्चदशविधा:-पञ्चदशप्रकारकाः प्रज्ञप्ता:-कथिताः । 'तं जहा' तथया 'पंचमु भरहेसु' पञ्चसु भरतक्षेपु 'पंचसु एरवएस' पञ्चसु ऐरवतेषु पंच महाविदेहमु' पञ्चम महाविये हेपु, एतेषु पञ्च पञ्चसु भरतैरवतमहाविदेहाख्येपु कर्म भूमिक्षेत्रेषु समुत्पन्नानां मनुष्याणां स्त्रियः कर्मममिकाः पश्चदशप्रकारका भवन्तीति भावः । 'से तं फम्मभूमिगमणुस्सित्यीयओ' ता एताः कर्मभूमिका मनुष्यस्त्रियः इति । मनुष्यस्त्रीरुपसंहन्नाह-'से तं मणुस्सित्यीयओ' ता एता मनुष्यस्त्रियो निरूपिता इति ॥ क्रमप्राप्ताः देवस्त्रीः निरूपयितुं प्रश्नयन्नाह-से कि ते' इत्यादि 'से किं तं देविस्थियाओ' अथ कास्ता देवस्त्रियः-देवस्त्रीणां कियन्तो भेदा भवन्तीति प्रश्नः, उत्तरयति-'देविस्थीओ च विव्हा पन्नत्ता' देवस्त्रीयश्चतुर्विधाश्चतुष्प्रकारका प्रज्ञप्ता--कधिता इनि प्रकारमेदमेव दर्शकितने प्रकार की कही गई है ? 'गोयमा' हे गौतम ! "कम्मभूमिया पन्नरसविहाओ पन्नत्तायो" कर्मभूमिजस्त्रियां पन्द्रह प्रकार की कही गई है "तं जहा" जैसे-"पंचल भरहेस" पांच भरत क्षेत्रों की, "पंचसु एरवएस" पांच ऐरवत क्षेत्रो की "पचस महाविदेहेर" पाँच महा विदेहों की ऐसे पन्द्रह क्षेत्रों की स्त्रियां पन्द्रह प्रकारकी होती है, 'से तं कम्मथूमगमणुस्सित्थी ओ' इस प्रकार से ये पन्द्रर स्त्रियाँ कर्मभूमिज स्त्रियाँ कही गई हैं। 'से तं मणुस्सित्थीओ' मनुप्यस्त्रियाँ का यह प्रकरण समाप्त हुआ । अब सूत्रकार क्रमप्राप्त देवत्रियों का निरूपण करते हैं-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है- “से किं तं देविस्थीओ" हे भदन्त । देवस्त्रियों के कितने मेद है ? गौतम ! "देवित्थीओ चउविवहा पन्नत्ता" देवस्त्रियों के चार भेद हैं । "तं जहा" जो इस प्रकार से हैं-"भवणवासि देवित्थीओ वाणमंतरदेवित्थीओ, जोइसियदेवित्थीओ, वेमाणियशत यात्रीस प्रारनी "अकम्म भूमियाओ" मम भूभिन स्त्रियो छ. “से कि तं कम्मभूमियाओ" मावान्भभूभिर स्त्रियोटा १२नी सी छ ? "गोयमा! कम्मभूमिया. पन्नरसविहाओ पन्नताओगौतम! मूभि स्त्रिया ५४२२नी ४सछे. "तं जहा" ते या प्रमाणे छे. “पंचसु भरहेसु" पाय सरत क्षेत्रामा उत्पन्न थयेटी स्त्रियो, "पंच परवसु" पांय सरवत क्षेत्रामा उत्पन्न थयेसी स्त्रिया, "पंचसु महाविदेहेसु" पांय महा વિદેહોમાં ઉત્પન્ન થયેલી ચિયો આ પ્રમાણે ૫ દર ક્ષેત્રોમાં પંદર પ્રકારની સ્કિા થાય્ છે. "से त कस्मभूमिगमणुस्सित्थीओ" मा प्रभाए 20 ५६२ २नी स्त्रियाने भभूमिका मनुष्य स्त्रयो वामां मावेस छ. "से तं मणुस्सित्थीमो" २॥ प्रभारी मनुष्य स्त्रियाना ભેદે કહ્યા છે હવેસૂત્રકાર ક્રમાગત દેવની પ્રિનું નિરૂપણ કરે છે. આમાં ગૌતમ સ્વામી પ્રભુને सद् पूछे छे -"से कि त देविस्थीओ" भगवन् व नियोना सा सेटी ४९सा
SR No.010388
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1971
Total Pages693
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size44 MB
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