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॥अथ त्रिविधाख्या द्वितीया प्रतिपत्तिः । द्विविधा प्रतिपत्ति निरूपिता, सम्प्रति त्रिविधा प्रतिपत्तिरारभ्यते, तत्र चैदमादिम सूत्रम्तत्थं जे ते एवमाहंस' इत्यादि । ____ मूलम्-'तत्थ जे ते एवमाहंसु तिविहा संसारसमावण्णगा जीवा पन्नत्ता, ते एव माहंसु-तं जहा-इत्थी पुरिसा णपुंसगा से कि तं इत्थीओ ? इत्थीओ तिधाओ पन्नत्ता, तं जहा-तिरिक्खजोणिस्थीओ मणुस्सित्थीओ देवित्थीओ! से किं तं तिरिक्ख जोणित्थीओ? तिरिक्खजोणित्थीओ तिविहाओ पन्नत्ता तं जहा-जलयरीओ थल यरीओ खहयरीओ । से किं तं जलयरीओ ? जलयरीओ पंचविहाओ पन्नत्ताओ तं जहा मच्छीओ जाव सुंसुमारीओ से किं तं थलयरीओ। थलयरीओदुविहाओ पन्नत्ताओतं जहा चउप्पदीओ य परिसप्पिणीओ य से कि तं चउप्पदीओ ? चउप्पदीओ चउबिहाओ पन्नत्ताओ, तं जहा एगखुरीओ जाव सणप्फईओ । से किं तं परिसप्पिणीओ परिसप्पिणी
ओ दुविहा पन्नत्ता तं जहा-उरपरिसप्पिणीओ य भुयपरिसप्पिणीओ य । से कि तं उरपरिसप्पिणीओ ? उरपरिसप्पिणीओ तिविहाओ पन्नत्ताओ, तं जहा-अहीओ अयगरीओ महोरगीओ, सेत्तं उरपरिसप्पिणीओ। से किं तं भुयपरिसप्पिणीओ ? भुयपरिसप्पिणीओ अणेगविहाओ पन्नताओ तं जहा-गोडीओ पउलीओ सेधाओ सेलीओ सरडीओ से रिधीओ ससाओ खाराओ पंचलोइयाओ चउप्पइयाओ मूसियाओ मुगुंसियाओ घरोलियाओ गोल्हियाओ जान्हियाओ विरचिरालियाओ सेत्तं भुयपरिसप्पिणीओ। से किं तं खहयरीओ?