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________________ ४२] जीव और कम-विवार। जा परंतु एक भी कार्यमें सफलता प्राप्त नहीं हुई। लाचार हाकर माता पिताने वालकके कहे अनुसार उसके जन्मातरके माता पिताका शोध कराया । उस बालकने अपने माता पिना कक्ष ( काठिया. वाड ) देश में राजकोटके पास एक प्राममें बतलाया। भारत गवर्नमेंटके द्वारा यह शोध की गई तो उसके माता पिता आदिका नाम उस बालकके मरने की तारीख उसने बतलाये हुये भरके कार्य सय ज्योंके त्यों मिल गये। मरणके दा साढे आठ महीने बाद उस बालकने जन्म लिया । मरण समय उस बालकके जीवने एक पडोसी बुढिया की रूग्णावस्थामें सेवा की थी। और गरीव लोगोंको वस्त्र प्रदान किये थे। उन वलोंमें एक सर्प बैठा था जिसके दंशसे यह मरकर आयले डमें एक करोडपनिफे यहां उत्पन हुआ । इसी प्रकार ग्वालियर राज्यमें एक डाकूको पानी पीते हुए एक सिपाहीने मार दिया था, वह मरकर उसी राज्यमें उत्पन हुआ। वाल्यावस्थामें ही लडकोंको उस सिपाहाका नाम लेकर उसे मारनेके लिये करता था पीछे उसने सब कथा सुनाई और महाराजने उसे बुलाया, सिपाहोको पहचान करके वालकने उसे क्षमा प्रदान को, महाराजने बहुन द्रव्य दिया। यह कथा १५ वर्ष को है। । उपर्युक्त घटनाओंले कर्म कर्मफल और जीव-पद र्थका सुनिश्चित प्रमाण मिलता है। यदि बास्तविक जीवका अभाव होता तो ऐसी अनेक नन्मातर की घटनायं जो प्रत्यक्ष होती हैं। कैसे सत्यरूप प्रमाणित होती? जीवकी सिद्धि में कितने ही ग्रन्थकारोंने अनुमान प्रमाण बत
SR No.010387
Book TitleJiva aur Karmvichar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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