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जीव और कर्म-विचार। [२४१ फल मरा प्राप्त होना है। इसीप्रकार जिनने फर्म है उनका फल भिन्न भिन्न प्रकार होता है। ___ जिस प्रकार गो दूधमा फल शांति और पौष्टिक है पाचक है सादु है परन्तु सारके दूरका फल गर्म उन्मादक है । और प्राणों फा व्यत्यय कराने वाला रेवक।
जिम प्रसार मीठा पानी संतापमारफ और दाहको दूर करने घाला है हमीप्रकार द्वारा पानी दाहकारक योर असंतोपको उत्पन्न करने वाला है।
इली पर मोरे मृर मेदोका फलं भिन्न मिन्न प्रकारसे होना है। पानाला फल मानका आवरण है दर्शनावरण का फल दफा आरण, येदनाका फल मुख दुम्बका प्रदान करना है। मोदनी (दर्शन मानो ) का फल विपरोन अनुभव मरना हे। या प्रारमा म गुगामें गिरानता प्राप्त कराना है। पार्योका फल वारिसमा घान माना है अथवा क्रोधादिक दुर्भागका प्रन्ट होना है नररु प्रायुम फल नरकमें स्थिति करना है । देवायुका 'फट देव पर्यायका यिनि पूर्ण करना है । नाम फर्मका फल भिन्न मिन्न प्रकारमं नो कर्म (गर) की रचना होना है गोन कर्मका फल नाच कंन गो में जन्म लेना है। अन्तरायका फल दान लाभ आदिकी अप्राप्ति है। - इस प्रकार मूल प्रकृतियोंका अनुभाग (फल) सामान्य रूपसे - हे विशेष मागमसे जानना चाहिये।