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* जिनवाणी संग्रह *
मित्रधर कुटसे नमिनाथ तीर्थंकर हजार मुनिसहित निर्वाण प्राप्त हुए हैं, तथा नौ सौ कोडाफोडी पैंतालिस लाख सात हजार नौ सौ बियालीस मुनि औरभी कर्मोसे छूटे हैं। इस टोंकके दर्शनका फल एक करोड़ उपवास करनेके बराबर है ।
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गिरनार पर्वतसे श्रोनेमिनाथ तीर्थंकर पांच सौ छत्तीस मुनि सहित मोक्ष प्राप्त हुए हैं। तथा बहत्तर करोड़ सात सौ मुनि और भी गिरनार पर्वतसे मुक्त हुए हैं I
सम्मेद शिखर बोस सुवर्ण भद्रकूट से श्रीपार्श्वनाथ तीर्थकर पांच सौ छत्तीस मुनिसहित परमधामको सिधारे हैं। तथा चौरासी लाख मुनि और भी वहांसे मुक्त गये हैं । इस कूटके दर्शन करनेका फल एक करोड़ उपवास करनेके बराबर है । इसके पश्चात् 'श्रीगौतमगणधर बोले, हे राजन् ! ये महावीर भगवान् पावापुरी पद्मसरोवरमेंसे छत्तीस मुनियोंके सहित मोक्ष जायेंगे। तथा शिखरजीकी जिन्होंने पूर्वकालमें यात्रा की है, उन मेंसे थोडेसे नाम मैं कहता हूं । सगर, सागर, मघवा, सनत्कुमार, आनन्द, प्रभसेन, ललितदंत, कुदसेन, सेनादत्त, बरदत्त, सोमप्रभ, चारुसेन, आदि इनके सिवाय और भी हजारों राजाओंने यात्राकी है, परन्तु उनमेंसे दर्शन केवल उन्हींको हुए हैं, जो भव्य थे, अभव्योंको दर्शन नहीं मिलते।
श्रेणिक - हे भगवन्! शिखरजीकी यात्रा करनेका फल जो कुछ आपने कहा, सो तो यथार्थ है परन्तु उससे अधिक तथा सम्पूर्ण फल और क्या है, वह कृपा करके कहो ।