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भाषानुवाद
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स्थापित किये पछत्तर लाखके (खर्च) से । मौर्यकालमें उच्छेदको प्राप्त चौसट्ठी ( चौसठ अध्यायवाले ) अंगसप्तिकका चौथा भाग फिर तैयार कराया । इस क्षेमराजने, वृद्धिराजने, भिक्षुराजने, धर्मराजने कल्याण देखते, सुनते और अनुभव करते हुए ।
(१७) ०००००००००००० है गुण विशेष कुशल, समस्त पंथोंका आदर करनेवाला, समस्त ( प्रकारके) मंदिरोंकी मरम्मत कराने वाला, अस्खलित रथ और सैन्यवाले चक्र ( राज्य ) का धुरी (नेता), गुप्त - (रक्षित) चक्रवाला, प्रवृत्त चक्रवाला राजर्षिवंशविनिःसृत राजा खारवेले । '
१. लेखके आदि अन्तमें एक एक मगल चिह्न चनाया गया है। पहिला वद्धमगल है और सरेके नामका अभी पता नहीं चला ।
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